हिंसा मामले में 83 पूर्व नौकरशाहों द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगने पर अनूपशहर से भाजपा विधायक संजय शर्मा ने खुला पत्र लिखकर 21 गायों की मौत पर चिंता व्यक्त की है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा के विरोध में 83 पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की थी. इस पर बुलंदशहर जिले के अनूपशहर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक संजय शर्मा ने नौकरशाहों को खुला पत्र लिखकर कहा कि लोगों को सिर्फ सुमित और पुलिस इंस्पेक्टर की मौत दिख रही है, किसी को 21 गाय नहीं दिख रही है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, भाजपा विधायक संजय शर्मा का कहना है, ‘आपको सिर्फ सुमित और पुलिस अधिकारी की मौत दिख रही है. लेकिन 21 गायों की मौत दिखाई नहीं दे रही है. अगर गोहत्या नहीं होती तो ये घटना भी नहीं हुई होती.’
Sanjay Sharma BJP MLA from Anupshahr, Bulandshahr district writes open letter to 83 former bureaucrats demanding CM Yogi Adityanath's resignation, states, "You're seeing deaths of only Sumit and a police officer but not the deaths of 21 cows". pic.twitter.com/aN2CRK7Ku2
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 20, 2018
इसी महीने की तीन तारीख को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र में गोहत्या के शक में हिंसा भड़क उठी थी. उस दौरान गोली लगने से एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के अलावा एक सुमित नामक युवक की मौत हो गई थी.
जनसत्ता के अनुसार, विधायक शर्मा ने कहा कि आप पूर्व नौकरशाहों को देश की सेवा का अवसर प्राप्त हुआ और आप लोगों ने की भी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगने का पत्र राजनीति से प्रेरित लगता है.
शर्मा पूर्व नौकरशाहों पर तंज कस्ते हुए पत्र में आगे लिखा, ‘अगर आप लोगों को राजनीति करनी है, तो चुनाव लड़िए. जो पार्टी 11 दिसंबर के बाद से आप लोगों से पत्र लिखवा रही है, वो आप लोगों को टिकट जरूर देंगे.’ विधायक ने कहा कि वे स्वयं सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं.
विधायक ने योगी आदित्यनाथ का बचाव करते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री के मन में कोई भी समाज के प्रति दुर्भावना होती, तो तीन दिवसीय कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिलती. तीन दिन कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ, जो आजतक कहीं नहीं हुआ.
तीन दिसंबर को हुई इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया का काफी आलोचना हो रही है. हिंसा के बाद हुई बैठक में योगी ने गोकशी की चर्चा की, लेकिन इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की कोई चर्चा नहीं हुई.
नौकरशाहों ने पत्र में लिखा था कि इससे पता चलता है कि देश के सबसे ज़्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली के मौलिक सिद्धांतों, संवैधानिक नीति और मानवीय सामाजिक व्यवहार तहस नहस हो चुके हैं. राज्य के मुख्यमंत्री एक पुजारी की तरह धर्मांधता और बहुसंख्यकों के प्रभुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.
पत्र में लिखा था कि सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए ऐसे हालात पहली बार उत्पन्न नहीं किए गए. उत्तर प्रदेश का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब भीड़ द्वारा एक पुलिसकर्मी हत्या की गई हो, न ही यह गोरक्षा के नाम होने वाली राजनीति के तहत मुसलमानों को अलग-थलग कर सामाजिक विभाजन पैदा करने का पहला मामला है.
खुला पत्र जारी करने वालों में पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, योजना आयोग के पूर्व सचिव एनसी सक्सेना, अरुणा रॉय, रोमानिया में भारत के पूर्व राजदूत जूलियो रिबेरो, प्रशासकीय सुधार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जेएल बजाज, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदार सहित कुल 83 पूर्व नौकरशाह शामिल हैं.
बीते मंगलवार को बुलंदशहर हिंसा के मामले में प्रदेश पुलिस ने पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इनमें से तीन को गोहत्या जबकि दो को हिंसा में शामिल होने के आरोप में पकड़ा गया है.
हालांकि हिंसा के मामले में मुख्य आरोपी बजरंग दल के कार्यकर्ता योगेश राज और शिखर अग्रवाल को अभी तक पुलिस पकड़ नहीं पाई है.