दंगों के लगभग 20 मामलों में विधायक और सांसद भी आरोपियों की सूची में हैं. पुलिस ने भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची और अन्य के ख़िलाफ़ इसमें उनकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया था.
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति राज्य सरकार से अब तक नहीं मिली है. दंगों में लगभग 20 मामलों में विधायक और सांसद भी आरोपियों की सूची में हैं.
विशेष जांच दल के सूत्रों के अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना) के तहत आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के जांच एजेंसी के आग्रह पर राज्य सरकार ने पिछले पांच साल से अब तक कोई जवाब नहीं दिया है.
उन्होंने बताया कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने राज्य सरकार से आरोपियों के खिलाफ दंगों के 20 मामलों में कथित रूप से घृणा फैलाने वाला भाषण (हेट स्पीच) देने के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी.
पुलिस ने भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची और अन्य के खिलाफ दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया था.
मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 40 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए थे.
बता दें कि जून महीने में मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े एक मामले के संबंध में अदालत में पेश नहीं होने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद संजीव बालियान, विहिप नेता साध्वी प्राची, भाजपा विधायक उमेश मलिक तथा दो अन्य के खिलाफ स्थानीय अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किए थे.
मालूम हो कि अगस्त 2013 में जानसठ कोतवाली के कवाल गांव में दो भाइयों सचिन और गौरव हत्या के बाद एक पंचायत के बाद जिले में दंगा भड़का था.
इस पंचायत में भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक उन्माद फैलाने के दो मुकदमे सिखेड़ा थाने में दर्ज हुए थे, जो फिलहाल एसीजेएम द्वितीय अंकुर शर्मा की कोर्ट में चल रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)