रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यूपीएससी द्वारा एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा के ज़रिये एससी और एसटी समुदाय के लोगों की भर्ती की जा सकती है.
नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बीते सोमवार को न्यायपालिका में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों के लिए आरक्षण देने की बात कही.
लखनऊ में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा कराए गए एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा के जरिए एससी और एसटी समुदाय के लोगों की भर्ती की जा सकती है.
रविशंकर प्रसाद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘अगर यूपीएससी द्वारा न्यायिक सेवा परीक्षा कराई जाती है तो ये उसी आधार पर होगा जिस तरह सिविल सेवा में अभ्यार्थियों का चयन किया जाता है, जहां एससी और एसटी के लिए आरक्षण होता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘चुने गए लोगों को अलग-अलग राज्यों नियुक्त किया जाएगा और आरक्षण से वंचित वर्गों के प्रशिक्षित न्यायिक अधिकारियों के लिए अवसर पैदा होंगे जो समय के साथ उच्च पदों पर जा सकेंगे.’
Inaugurated the 15th National Conference of Akhil Bharatiya Adhivakta Parishad at Lucknow. Spoke about the efforts made by @narendramodi Govt to enhance access to justice for citizens. pic.twitter.com/7fVFfOVB98
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) December 24, 2018
प्रसाद ने ये भी कहा, ‘एक सुव्यवस्थित न्यायिक सेवा हमारे लॉ स्कूलों से टैलेंटेड युवाओं को आकर्षित कर सकती है. अच्छी तरह से सूचित न्यायिक अधिकारियों से अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) के स्तर पर बदलाव आएगा. एडीजे और जिला न्यायाधीश के रूप में वे न्यायिक प्रणाली को तेज और अधिक कुशलता से बनाने में मदद कर सकते हैं.’
रविशंकर प्रसाद के इस विचार का खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने स्वागत किया है.
प्रसाद का बयान ऐसे समय पर आया है जब कुछ दिन पहले ही नीति अयोग ने ‘स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया @ 75’ शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में न्यायपालिका में उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए रैंकिंग के आधार पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवाओं की परीक्षा कराने की सिफारिश की है.
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘निचली अदालत के न्यायाधीशों, भारतीय कानूनी सेवा (दोनों केंद्र और राज्यों), अभियोजकों, कानूनी सलाहकारों और कानूनी ड्राफ्ट्समैन की चयन प्रक्रिया को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सौंपा जा सकता है. इससे युवा और अच्छे लॉ ग्रैजुएट्स को आने का मौका मिलेगा और एक नया कैडर बनेगा जो शासन प्रणाली में जवाबदेही को बढ़ा सकता है.’