तमिलनाडु के विरुधुनगर ज़िले का मामला. सरकारी ब्लड बैंक का एक कर्मचारी बर्ख़ास्त और दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया. महिला के पति ने घटना के लिए तमिलनाडु सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया.
विरुधुनगर (तमिलनाडु): ज़िले की एक गर्भवती महिला को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाए जाने का मामला सामने आया है. ख़ून चढ़ाए जाने के बाद महिला एचआईवी संक्रमित हो गई है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि घटना के सिलसिले में शिवकासी स्थित इस सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक के एक कर्मचारी को बर्ख़ास्त कर दिया गया है, वहीं दो अन्य को निलंबित किए गए हैं.
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, विरुधुनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती आठ माह की गर्भवती महिला को डॉक्टरों ने खून चढ़ाने के लिए कहा था, क्योंकि वह एनीमिया से ग्रसित थीं. इस महीने की शुरुआत में विरुधुनगर ज़िले के शिवकासी के एक सरकारी अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक से लाया गया खून महिला को चढ़ाया गया था.
बुधवार को महिला को एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट के लिए मदुरई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, महिला और उसके पति ने कार्रवाई की मांग को लेकर ब्लड बैक के डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ पुलिस में केस दर्ज करा दिया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती महिला को एचआईवी संक्रमित खून तीन दिसंबर को चढ़ाया गया था. वह खून एक एचआईवी संक्रमित युवक से लिया गया था. उस युवक को दो साल पहले एक सरकारी लैब द्वारा एचआईवी तथा हीपेटाइटिस-बी पॉज़िटिव पाया गया था, जब उसने रक्तदान किया था.
रिपोर्ट के अनुसार, जब महिला को एचआईवी संक्रमित पाया गया, तो उसका एंटी-रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट शुरू किया गया. अधिकारियों के अनुसार, गर्भ में पल रहा शिशु भी एचआईवी संक्रमित होगा या नहीं, यह उसके जन्म के बाद ही जाना जा सकेगा.
एनडीटीवी से बातचीत में तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ. आर. मनोहरन ने बाताया, ‘दो बार लापरवाही हो चुकी है. हमें संदेह है कि खून को चढ़ाने की मंज़ूरी देने से पहले टेक्नीशियन ने एचआईवी का टेस्ट नहीं किया. यह हादसा है, जानबूझकर नहीं किया गया. हमने जांच के आदेश दे दिए हैं, और युवक का भी इलाज किया जा रहा है.’
साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार ने महिला तथा उसके पति के लिए मुआवजा तथा नौकरी देने की पेशकश की है.
हालांकि उसे टेस्ट के नतीजों की जानकारी नहीं दी गई और उसने पिछले महीने फिर सरकारी ब्लड बैंक के लिए रक्तदान किया था. अधिकारियों के मुताबिक जब तक खून में एचआईवी संक्रमण का पता चल पाता, उसका खून गर्भवती महिला को चढ़ाया जा चुका था.
अधिकारियों के मुताबिक गर्भ में पल रहा शिशु भी एचआईवी संक्रमित होगा या नहीं, यह उसके पैदा होने के बाद ही पता चल सकेगा.
राज्य सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 23 वर्षीय महिला पर वायरस के असर को रोकने के हरसंभव प्रयास किया जा रहा है और सभी ब्लड बैंकों में खून के नमूनों की समीक्षा की जाएगी ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो.
विरुधुनगर स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त निदेशक आर. मनोहरन ने कहा कि महिला को उसकी दूसरी संतान के जन्म के लिए सत्तूर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था और डॉक्टरों ने उसे हीमोग्लोबिन की कमी के कारण खून चढ़वाने की सलाह दी थी.
प्रारंभिक जांच में पता चला कि ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने जिस अस्पताल में महिला भर्ती थी उसे खून देने से पहले उसकी सही से जांच नहीं की. अधिकारियों के मुताबिक खून जांचने वाले ने उस पर ‘सुरक्षित’ की पर्ची चस्पा कर दी थी.
प्रदेश के मत्स्यपालन मंत्री डी. जयकुमार ने कहा कि ब्लड बैंक के दोषी कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है. उन्होंने चेन्नई में संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार तकनीक की मदद से महिला पर एचआईवी के असर को रोकने के लिए कदम उठा रही है.’
इधर, महिला के पति ने संवाददाताओं से बातचीत में घटना के लिए तमिलनाडु सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है और मांग की है कि उसकी पत्नी का अच्छे से अच्छा इलाज किया जाए. उसने कहा कि उसे सरकारी नौकरी नहीं चाहिए और वह बस अपनी पत्नी का अच्छे से अच्छा इलाज चाहता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)