साल 2018 में टूटा 10 साल का रिकॉर्ड, जगहों के नाम बदलने के लिए सरकार को मिले 34 प्रस्ताव

राजस्थान की ओर से ऐसे सर्वाधिक सात प्रस्ताव भेजे गए. इसके बाद हरियाणा से छह, मध्य प्रदेश एवं नगालैंड से चार-चार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से तीन-तीन और केरल से ऐसे दो प्रस्ताव भेजे गए.

Allahabad: Rashtriya Rakshak Samuh activists cover Allahabad Railway Junction board with poster of 'Prayagraj' as Uttar Pradesh government Cabinet approves renaming of the city 'Allahabad' to 'Prayagraj' ahead of Kumbh Mela, in Allahabad, Wednesday, Oct 17, 2018. (PTI Photo) (PTI10_17_2018_000039B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

राजस्थान की ओर से ऐसे सर्वाधिक सात प्रस्ताव भेजे गए. इसके बाद हरियाणा से छह, मध्य प्रदेश एवं नगालैंड से चार-चार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से तीन-तीन और केरल से ऐसे दो प्रस्ताव भेजे गए.

Allahabad: Rashtriya Rakshak Samuh activists cover Allahabad Railway Junction board with poster of 'Prayagraj' as Uttar Pradesh government Cabinet approves renaming of the city 'Allahabad' to 'Prayagraj' ahead of Kumbh Mela, in Allahabad, Wednesday, Oct 17, 2018. (PTI Photo) (PTI10_17_2018_000039B)
बीते महीने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया. इसके बाद कुछ लोगों ने इलाहाबाद जंक्शन के बोर्ड पर प्रयागराज का पोस्टर लगा दिया. (फोटो: पीटीआई)

इंदौर: देश में स्थानों के नए नामकरण को लेकर जारी बहस के बीच सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला है कि साल 2018 के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय को गांवों, कस्बों, शहरों और रेलवे स्टेशनों के नामों में बदलाव के लिए 34 प्रस्ताव मिले. जगहों के नाम में तब्दीली के प्रस्तावों की यह तादाद सालाना आधार पर पिछले एक दशक में सर्वाधिक है.

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने उन्हें 20 दिसंबर को सूचना के अधिकार के तहत भेजे जवाब में यह जानकारी दी.

गौड़ की आरटीआई आवेदन पर मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक नाम परिवर्तन के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय को साल 2008 में दो, 2010 में तीन, 2011 में 11, 2012 में चार, 2013 में 14, 2014 में भी 14, 2015 में 16, 2016 में 17, 2017 में 25 और 2018 में 34 प्रस्ताव मिले.

यह जानना दिलचस्प है कि साल 2009 में गृह मंत्रालय को इस तरह का एक भी प्रस्ताव नहीं मिला था. इस तरह पिछले 11 सालों में केंद्रीय गृह मंत्रालय को स्थानों के नाम में परिवर्तन के कुल 140 प्रस्ताव मिले.

अलग-अलग एजेंसियों के साथ उचित विचार-विमर्श के बाद इनमें से 127 प्रस्तावों को स्वीकृत करते हुए अनापत्ति प्रमाण जारी किया गया, जबकि 13 अन्य प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है.

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक ये 13 विचाराधीन प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को साल 2018 में ही मिले हैं. वैसे इस वर्ष मंत्रालय ने देश भर के स्थानों के नाम परिवर्तन के 21 प्रस्तावों को हरी झंडी दिखाई.

साल 2018 के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय को स्थानों के नाम परिवर्तन के प्रस्ताव भेजने में राजस्थान अव्वल रहा. राजस्थान की ओर से ऐसे सर्वाधिक सात प्रस्ताव भेजे गए. इसके बाद हरियाणा से छह, मध्यप्रदेश एवं नगालैंड से चार-चार, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र से तीन-तीन और केरल से ऐसे दो प्रस्ताव भेजे गए.

कर्नाटक, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, दिल्ली और बिहार से ऐसा एक-एक प्रस्ताव भेजा गया. आरटीआई के तहत बताया गया कि स्थानों के नाम में बदलाव के लिए संबंधित प्रदेश सरकार से प्रस्ताव मिलने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय अलग-अलग सरकारी एजेंसियों की मदद से विचार-विमर्श करता है. नाम परिवर्तन को मंजूरी दिये जाने की स्थिति में प्रदेश सरकार को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया जाता है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि स्थानों का नाम बदलने के लिए सबसे ज्यादा प्रस्ताव भाजपा शासित राज्यों से भेजे गए थे. बता दें कि बीते महीने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया. इलाहाबाद के अलावा मुगलसराय रेलवे स्टेशन और फैजाबाद का भी नाम बदल दिया गया है. इन्हीं मामलों को लेकर योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार की काफी आलोचना हुई थी.

विपक्षी दलों का कहना था कि भाजपा सरकार देश में मुस्लिम समुदाय से जुड़े नामों को बदलकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना चाह रही है. उन्होंने ये भी कहा कि नाम बदलने को लेकर खर्च की जा रही धनराशि जन कल्याण से जुड़ी योजनाओं पर खर्च की जाती, तो देश के हालात में बदलाव आता.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)