बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग को आम चुनाव में 298 में 287 सीटों पर जीत मिली. सात सीटों पर सिमटा विपक्षी गठबंधन.
ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग ने रविवार को हुए आम चुनाव में लगातार तीसरी बार शानदार जीत दर्ज की है. रॉयटर्स के अनुसार अवामी लीग को 300 सीट वाली संसद में 298 में से 287 सीटें मिली हैं, वहीं उनके सहयोगी दल को 21 सीट पर सफलता मिली है.
बांग्लादेश में मुख्य विपक्षी दल नेशनल यूनिटी फ्रंट और इसके सहयोगी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी सिर्फ 6 सीटों पर सिमट कर रह गई. इसके अलावा चुनावी नतीजों को खारिज करते हुए विपक्षी गठबंधन ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है.
इससे पहले मतदान के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में चुनाव से जुड़ी हिंसा में कम से कम 18 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे. यह देश के सर्वाधिक हिंसक चुनावों में से एक रहा.
सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 298 सीटें मिली हैं, जबकि उसकी सहयोगी जातीय पार्टी ने 21 सीटें. विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट (यूएनएफ) को सिर्फ सात सीटों पर जीत मिली. यूएनएफ में बीएनपी मुख्य घटक थी.
बीएनपी पिछले 12 वर्षों से सत्ता से बाहर है और उसने 2014 में हुए आम चुनावों का बहिष्कार किया था. स्थानीय मीडिया के अनुसार निर्दलीय उम्मीदवारों को दो सीटों पर कामयाबी मिली. एक उम्मीदवार की मौत हो जाने की वजह से एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था.
चुनाव आयोग ने दक्षिण पश्चिम गोपालगंज सीट के पूरे नतीजे की पुष्टि की. वहां प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने दो लाख 29 हजार 539 वोटों से जीत दर्ज की है, जबकि विपक्षी बीएनपी के उम्मीदवार को मात्र 123 वोट मिले.
नेशनल यूनिटी फ्रंट (एनयूएफ) में बीएनपी, गोनो फोरम, जातीय समाज तांत्रिक दल- जेएसडी, नागरिक ओइका और कृषक श्रमिक जनता लीग का गठबंधन है.
शुरुआती नतीजों में अवामी लीग की अगुवाई वाले महागठबंधन की जीत के संकेत मिलने के बाद एनयूएफ के संयोजक और वरिष्ठ वकील कमल हुसैन ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम नतीजों को खारिज करते हैं और निष्पक्ष सरकार के तहत नए सिरे से चुनाव कराने की मांग करते हैं.
हुसैन गोनो फोरम पार्टी के प्रमुख हुसैन ने चुनाव आयोग से अनुरोध कर कहा, ‘हम आपसे इस चुनाव को तुरंत रद्द करने की मांग करते हैं. हमें खबर मिली है कि सभी मतदान केंद्रों पर फर्जीवाड़ा हुआ है.’
बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरूल इस्लाम आलमगीर ने चुनाव को ‘क्रूर मजाक’ बताया. वह अपनी उत्तर पश्चिमी सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अनुपस्थिति में वही पार्टी की कमान संभाल रहे हैं.
इन नतीजों के बाद जहां शेख़ हसीना चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनेंगी वहीं उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया ढाका जेल में अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं. वह कथित तौर पर आंशिक रूप से लकवाग्रस्त भी हैं.
मालूम हो कि रविवार को सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक मतदान हुआ था. चुनाव आयोग ने बताया कि उन्हें हिंसा की खबरों के बीच समूचे देश से उम्मीदवारों से 100 से अधिक शिकायतें मिली हैं.
मतदान के दौरान हिंसा की काफी घटनाएं हुई थीं. ‘डेली स्टार’ समाचार पत्र के अनुसार चुनाव से जुड़ी हिंसा में देश में कम से कम 18 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए.
खबरों के अनुसार, मरने वालों में ज्यादातर सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता थे जबकि अन्य लोगों में विपक्षी बीएनपी या उसके सहयोगी दलों के कार्यकर्ता भी शामिल थे.
बांग्लादेश वनडे क्रिकेट टीम के कप्तान मशरफे मुर्तजा की राजनीतिक पारी की शुरुआत
बांग्लादेश क्रिकेट टीम की वर्तमान वनडे टीम के कप्तान मशरफे बिन मुर्तजा ने देश के आम चुनावों में सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी की ओर से चुनाव लड़ते हुए बड़े अंतर से जीत भी हासिल की है.
वे देश के 11वें आम चुनाव में नरैल सीट से खड़े थे. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को करीब 34 गुना ज्यादा वोटों के अंतर से हराया है.
चुनाव में मशरफे मुर्तजा को ढाई लाख से ज्यादा वोट मिले. वहीं, जातिया ओइका फ्रंट गठबंधन के फरीदुज्जामनान फरहाद को महज आठ हजार वोट मिले.
टीम के लिए ऑलराउंडर के तौर पर खेलने वाले मशरफे मुर्तजा मूल रूप से तेज गेंदबाज हैं. मशरफे साल 2001 में अंतरराष्ट्रीय करिअर क्रिकेट की शुरुआत की थी.
मुर्तजा अपने करिअर अनेक बार चोटों से परेशान रहे, जिसने इसे काफी प्रभावित किया. खासतौर पर वे टेस्ट क्रिकेट में कभी नियमित नहीं खेल सके और बाद में एक टेस्ट में कप्तानी करने के बाद वे चोट की वजह से टेस्ट क्रिकेट में कभी वापसी नहीं कर सके.
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड भी उनकी चोट की संभावना को देखते हुए उन्हें लंबे प्रारूप में खिलाना पसंद नहीं करता. मुर्तजा ने हाल ही में अपने रिटायरमेंट के बारे में बात करते हुए स्पष्ट किया था कि वे 2019 में इंग्लैंड में होने जा रहे आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप खेलना उनका लक्ष्य है उसके बाद ही वे रिटायरमेंट पर विचार करेंगे.
इसके बाद उन्होंने कहा था कि संन्यास के बाद वह बांग्लादेश की अवाम की सेवा करना चाहते हैं और इसके लिए राजनीति में जाना ही बेहतर है.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)