शिवराज सिंह चौहान बोले कांग्रेस का यह परंपरा तोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण. मुख्यमंत्री कमलनाथ का पलटवार, महीने में एक बार केवल वंदे मातरम गाना किसी की देशभक्ति का सबूत नहीं.
भोपाल: पिछले करीब 13 साल से हर महीने के पहले कामकाजी दिन सचिवालय में सरकारी अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ गाने की चली आ रही परंपरा मंगलवार को टूट गई. नए साल के पहले कार्य दिवस एक जनवरी को सचिवालय में ‘वंदे मातरम’ नहीं गाया गया, जिस पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है.
मालूम हो कि कांग्रेस सरकार ने वंदे मातरम बंद करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है. लेकिन भाजपा का आरोप है कि कमलनाथ के राज में सरकारी कर्मचारियों के वंदे मातरम गाने पर रोक लगा दी गई है.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि अगर कांग्रेस को राष्ट्रगीत गाने में शर्म आती है तो वह स्वयं महीने की पहली तारीख को सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे.
वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नयी ऊर्जा का संचार होता था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी। आज पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 1, 2019
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि 7 जनवरी को उनकी पार्टी के सभी 109 विधायक सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे. भाजपा के इस हमले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इसका जवाब देते हुए पूछा कि जो वंदे मातरम नहीं गाते, क्या वे देशभक्त नहीं हैं.
इस पूरे विवाद पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट किया है कि इस परंपरा को नए रूप में अपनाया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले को किसी राजनीतिक उद्देश्य के नज़रिये से नहीं देखा जाना चाहिए, न ही कांग्रेस वंदे मातरम गाने के खिलाफ है.
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रगीत हमारे दिलों में है और हम इसे समय-समय पर गाते रहते हैं. हालांकि हम मानते हैं कि कि महीने में एक बार केवल वंदे मातरम गाना किसी की देशभक्ति का सबूत नहीं है. किसी के उसके देश से प्रेम करने को महीने में एक बार राष्ट्रगीत गाने से नहीं जोड़ा जा सकता.’
इसके अलावा उन्होंने शिवराज सिंह चौहान से सवाल करते हुए कहा कि जो वंदे मातरम नहीं गाते क्या वो राष्ट्रभक्त नहीं हैं.
इससे पहले भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने ट्विटर पर लिखा था, ‘वंदे मातरम का आयोजन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किया जाता था, जो (मुख्यमंत्री) कमलनाथ जी के पास हैं. क्या यह उनके आदेश द्वारा बंद किया गया है? उन्होंने हाल ही में कहा है कि वे किसी कार्य की आलोचना की परवाह नहीं करेंगे.’
अग्रवाल ने आगे लिखा, ‘अब क्या (मध्य प्रदेश में) ‘भारत माता की जय’ बोलने पर भी रोक तो नहीं होगी?’
मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभांशु कमल से इस पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश सफल नहीं हो सकी.
वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने इस घटना को ज्यादा तूल न देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ मंगलवार को भोपाल में नहीं थे और सुधि रंजन मोहंती ने 1 तारीख को ही मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव का कार्यभार संभाला है, हो सकता है कि इसके चलते वंदे मातरम नहीं गाया गया हो.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा इस बात का बतंगड़ क्यों बना रही है? यदि यह आज नहीं गाया गया है, तो यह कल या बाद में गाया जाएगा. इसे गलत नजरिये से न देखा जाए.’
मालूम हो कि साल 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने इस परंपरा की शुरुआत की थी कि महीने की पहली तारीख को सचिवालय-निदेशालय और सरकार के सभी उच्च अधिकारी वंदे मातरम गाएंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)