आरटीआई से खुलासा, 2004 से 2017 के बीच सांप्रदायिक हिंसा में 1600 से अधिक लोगों की मौत

गृह मंत्रालय ने बताया कि भारत में साल 2004 से 2017 के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 10,399 घटनाएं हुईं. इसमें 1,605 लोग मारे गए और 30,723 लोग घायल हुए.

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Aurangabad: A police personnel looks as fire is set ablaze due to a communal riot that escalated due to clamping illegal water connection in a religious place in Moti Karanja area of Aurangabad on Friday. PTI Photo (PTI5_12_2018_000047B)
Aurangabad: A police personnel looks as fire is set ablaze due to a communal riot that escalated due to clamping illegal water connection in a religious place in Moti Karanja area of Aurangabad on Friday. PTI Photo (PTI5_12_2018_000047B)

गृह मंत्रालय ने बताया कि भारत में साल 2004 से 2017 के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 10,399 घटनाएं हुईं. इसमें 1,605 लोग मारे गए और 30,723 लोग घायल हुए.

Aurangabad: A police personnel looks as fire is set ablaze due to a communal riot that escalated due to clamping illegal water connection in a religious place in Moti Karanja area of Aurangabad on Friday. PTI Photo (PTI5_12_2018_000047B)
महाराष्ट्र में औरंगाबाद के मोती करांजा इलाके में अवैध पानी के कनेक्शन को लेकर हुए विवाद ने सांप्रदायिक तनाव का रंग ले लिया था. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत में साल 2004 से 2017 के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 10,399 घटनाएं हुईं. इसमें 1,605 लोग मारे गए और 30,723 लोग घायल हुए. गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है.

सूचना का अधिकार आवेदन के तहत खुलासा हुआ है कि सांप्रदायिक हिंसा की सबसे अधिक 943 घटनाएं 2008 में हुईं. साल 2008 में हिंसा में 167 लोग मारे गए और 2,354 लोग घायल हुए.

गृह मंत्रालय ने नोएडा के आईटी प्रोफेशनल और आरटीआई कार्यकर्ता अमित गुप्ता की अर्जी के जवाब में कहा कि हिंसा के सबसे कम 580 मामले 2011 में दर्ज किए गए. इस दौरान 91 लोगों की मौत हुई और 1,899 लोग घायल हुए.

गुप्ता ने यह भी पूछा कि इस दौरान सांप्रदायिक झड़पों, दंगों और लड़ाइयों के संबंध में कितने लोग गिरफ्तार और दोषी सिद्ध हुए. इस पर मंत्रालय ने बताया कि ऐसे आंकड़े राज्य सरकार के पास होते हैं क्योंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय है.

गुप्ता से यह पूछे जाने पर कि उन्होंने 2004 से सांप्रदायिक झड़पों के आंकड़े क्यों मांगे, इस पर उन्होंने बताया, ‘मैं सांप्रदायिक झड़पों, लड़ाइयों या दंगों की घटनाओं पर तथ्यों को सामने लाना चाहता था. इसलिए मैंने 2004 से 2017 तक के राज्यवार ब्यौरे मांगे ताकि यूपीए और एनडीए सरकारों के दौरान चीजें साफ हो सके.’

आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार 2017 में सांप्रदायिक हिंसा के 822 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 111 लोग मारे गए और 2,384 घायल हुए. जबकि 2016 में, 703 मामले दर्ज किए गए थे, 86 लोग मारे गए थे और 2,321 घायल हुए थे.

इसी तरह 2015 में 751 मामले सामने आए, 97 लोग मारे गए और 2,264 घायल हुए. जबकि 2014 में सांप्रदायिक झड़पों के 644 मामले सामने आए, 95 लोग मारे गए और 1,921 लोग घायल हुए.

गृह मंत्रालय ने बताया कि 2013 में इस तरह के 823 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 133 लोग मारे गए थे और 2,269 लोग घायल हुए थे, जबकि 2012 में सांप्रदायिक झड़पों के 668 मामले थे, 94 लोग मारे गए थे और 2,117 घायल हुए थे.

साल 2009 में सांप्रदायिक झड़पों के दूसरे अधिकतम 849 मामले आए, जिसमें 125 लोगों की जान चली गई और एक वर्ष में 2,461 लोग घायल हुए थे.

इससे पहले पिछले साल केंद्र सरकार ने बताया कि साल 2017 में देश में सांप्रदायिक हिंसा की 822 घटनाएं हुईं जिनमें 111 लोगों की मौत हो गई. गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्यसभा को बताया कि साल 2016 में सांप्रदायिक हिंसा की 703 घटनाएं हुईं जिनमें 86 लोगों की जान गई.

वहीं 2015 में सांप्रदायिक हिंसा की 751 घटनाओं में 97 लोग मारे गए थे. हालांकि 2015 से पहले तक के आंकड़ों को देखें तो 2014 से लेकर 2017तक में सांप्रदायिक हिंसा की 2,920 घटनाएं हुईं हैं जिसमें 389 लोगों की मौत हो गई. वहीं इन घटनाओं में 8,890 लोग घायल हुए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)