साइंस कांग्रेस में आंध्र यूनिवर्सिटी के वीसी: कौरव थे टेस्ट ट्यूब बेबी, रावण के थे हवाई अड्डे

जालंधर में आयोजित भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव ने कहा कि विज्ञान और तकनीक भारत के लिए कोई नई बात नहीं हैं, यह बहुत पहले से देश में मौजूद थीं. भगवान राम ने ऐसे अस्त्रों का इस्तेमाल किया था जो लक्ष्य का पीछा कर उसे भेदने के बाद वापस आ जाते थे, जैसा गाइडेड मिसाइल में होता है.

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जालंधर में आयोजित साइंस कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: पीटीआई)

जालंधर में आयोजित भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव ने कहा कि विज्ञान और तकनीक भारत के लिए कोई नई बात नहीं हैं, यह बहुत पहले से देश में मौजूद थीं. भगवान राम ने ऐसे अस्त्रों का इस्तेमाल किया था जो लक्ष्य का पीछा कर उसे भेदने के बाद वापस आ जाते थे, जैसा गाइडेड मिसाइल में होता है.

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जालंधर में आयोजित साइंस कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: पीटीआई)

जालंधर: आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस में राव ने दावा किया है कि महाभारत के कौरवों का जन्म स्टेम सेल और टेस्ट ट्यूब की तकनीक से हुआ था और भारत में यह तकनीक बहुत पहले से मौजूद थी.

उन्होंने यह भी कहा कि एक महिला 100 बच्चों को जन्म नहीं दे सकती इसीलिए महाभारत के अनुसार 100 अंडों को 100 घड़ों में रखा गया था, यानी कौरव टेस्टट्यूब बेबी थे.

कुलपति जी. नागेश्वर राव ने ये बातें पंजाब के जालंधर में आयोजित ‘साइंस कांग्रेस’ के कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कही. इस कार्यक्रम का उद्घाटन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

इस कार्यक्रम में बोलते हुए आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति ने कौरवों के टेस्ट ट्यूब से जन्म की बात पर कहा, ‘हर कोई हैरान होता है और किसी को भी विश्वास नहीं होता कि गांधारी ने कैसे 100 बच्चों को जन्म दे दिया. बतौर इंसान यह कैसे मुमकिन है? क्या कोई महिला एक जीवन में 100 बच्चों को जन्म दे सकती है?’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब हम मानते हैं कि टेस्ट ट्यूब से बच्चे होते हैं. एक बार फिर महाभारत में कहा गया कि 100 अंडों को निषेचित किया गया और 100 घड़ों में रखा गया. क्या वे टेस्ट ट्यूब शिशु नहीं थे? इस देश में स्टेम सेल शोध हजारों साल पहले हो गया था. आज हम स्टेम सेल शोध की बात करते हैं.’

राव ने कहा, जैसा कि चार्ल्स डार्विन ने कहा है कि जीवन पानी से शुरू हुआ, ठीक वैसे ही अगर भारतीय सभ्यता के इतिहास पर गौर किया जाए तो भगवान विष्णु का पहला अवतार भी एक मछली (मत्स्य) था.

आंध्र युनिवर्सिटी के कुलपति जी नागेश्वर राव, (फोटो साभार: यूनिवर्सिटी वेबसाइट)
आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति जी नागेश्वर राव. (फोटो साभार: यूनिवर्सिटी वेबसाइट)

दूसरे अवतार के लिए उन्होंने एक कछुए (कूर्म) एक उभयचर जानवर का आकार लिया. तीसरा अवतार एक सुअर के सिर और एक मानव शरीर (वराह) था. चौथा शेर व मानव शरीर के सिर के साथ नरसिंह अवतार था. उन्होंने पांचवें अवतार में वामन के मानव रूप धारण किया.

रामायण में कहा गया है कि रावण के पास केवल एक पुष्पक विमान ही नहीं बल्कि 24 तरह के विमान थे, जो अलग-अलग आकार और क्षमताओं के थे. यही नहीं, रावण ने लंका में कई हवाई अड्डे भी बनाए थे. अपने विमानों को वो केवल युद्ध के लिए नहीं बल्कि कई उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया करता था.’

श्री राव ने कहा कि भगवान विष्णु भी लक्ष्य का पीछा करने के लिए एक सुदर्शन चक्र भेजा करते थे.

एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक़, ‘गाइडेड मिसाइल’ के बारे में भी बात करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम ने ऐसे अस्त्र-शस्त्रों का इस्तेमाल किया था जो कि लक्ष्यों का पीछा करते थे और उसे भेदने के बाद वापस आते थे.’

कुलपति ने कहा कि इससे पता चलता है कि मिसाइलों का विज्ञान हिंदुस्तान के लिए नया नहीं है बल्कि यह तो यहां हजारों साल पहले भी मौजूद था.

इन सभी बातों को कहने पीछे उनका उद्देश्य यह बताना था कि विज्ञान और तकनीक भारत के लिए कोई नई बात नहीं हैं बल्कि वो बहुत पहले से देश में मौजूद थीं.

इसी कार्यक्रम में एक अन्य प्रेजेंटेशन में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन के रीडर अनिकेत सुले ने वीसी राव की बात के जवाब में कहा कि स्टेम सेल रिसर्च, टेस्ट ट्यूब बेबी, गाइडेड मिसाइल, विमान आदि बहुत ही उन्नत तकनीक है. यदि किसी सभ्यता के पास ये थीं, तो इससे संबंधित अन्य प्रमाण भी मिलने चाहिए.

उन्‍होंने कहा कि इनके लिए बिजली, धातु विज्ञान, यांत्रिकी की आवश्यकता होती, जिनका हमें कोई प्रमाण नहीं दिखता.

उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पुराने ग्रंथों के कुछ काव्यात्मक छंदों की दोबारा व्याख्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और लोग इनसे अपने मन से कुछ भी मतलब निकालते हैं. यह वास्तविक रिसर्च के बिल्कुल विपरीत है.