समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सपा और बसपा के बीच गठबंधन के संकेत के बाद सीबीआई जांच को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है.
लखनऊ: अवैध खनन मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ करने की संभावना के बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि वह जांच एजेंसी का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन लोग भाजपा को जवाब देने के लिए भी तैयार हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा एक ऐसी संस्कृति पीछे छोड़ रही है, जिसका भविष्य में इस्तेमाल किया जा सकता है.
यादव ने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा, ‘समाजवादी पार्टी अधिकतम लोकसभा सीटें जीतने के लिए प्रयास कर रही है. जो लोग हमें रोकना चाहते हैं, उनके साथ सीबीआई है. एक बार कांग्रेस ने सीबीआई जांच की और मुझसे पूछताछ की गई. अगर भाजपा यह सब कर रही है, तो सीबीआई मुझसे पूछताछ करेगी, मैं उन्हें जवाब दूंगा. लेकिन, लोग भाजपा को जवाब देने के लिए तैयार हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सीबीआई छापेमारी क्यों कर रही है. वे जो भी पूछना चाहते हैं, वे मुझसे पूछ सकते हैं. हालांकि, भाजपा को यह याद रखना चाहिए कि वह जिस संस्कृति को वह पीछे छोड़ रही है, उसे भविष्य में इसका सामना करना पड़ सकता है.’
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सीबीआई द्वारा जांच का सामना करना पड़ सकता है. बीते शनिवार को सपा और बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए गठबंधन का संकेत दिया, उसी दिन सीबीआई ने अवैध खनन मामले की एक एफआईआर सार्वजनिक की.
आलोचना करते हुए यादव ने कहा, ‘अब हमें सीबीआई को बताना होगा कि हमने कितनी सीटें गटबंधन में बांटी हैं. मुझे खुशी है कि कम से कम भाजपा ने अपने रंग दिखाए हैं. इससे पहले, कांग्रेस ने हमें सीबीआई से मिलने का मौका दिया, और इस बार यह भाजपा है, जिसने हमें यह अवसर दिया है.’
सपा और कांग्रेस ने अखिलेश की पार्टी और बीएसपी के बीच गठबंधन के बाद सीबीआई जांच को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘अब जब सपा-बसपा गठबंधन की खबरें आई हैं, अखिलेश के खिलाफ छापेमारी शुरू हो गई है. यह अपेक्षित था, जो कोई भी बीजेपी के खिलाफ बोलता है, छापा पड़ जाता है. ऐसे ही यह सरकार चल रही है.’
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है ताकि उनके पार्टी अध्यक्ष की छवि खराब हो. चौधरी ने कहा, ‘वे निराश हैं क्योंकि उन्हें डर है कि वे लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से हार जाएंगे.’
Sidharth Nath Singh, UP Min: Akhilesh ji you cannot loot, & beat your chest over it. You've looted the people & law is taking its course. In 2016 Allahabad HC took cognizance of the matter & gave it to CBI. CBI does not work keeping in mind timing of elections or gathbandhans. pic.twitter.com/ib3zpwSftD
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 6, 2019
हालांकि, भाजपा ने विपक्षी दलों के आरोपों को गलत बताया और कहा कि सीबीआई चुनाव को ध्यान में रखते हुए काम नहीं करती है. यूपी के मंत्री और भाजपा नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘अखिलेश जी आप लूट नहीं सकते और इस पर अपनी छाती पीट सकते हैं. आपने लोगों को लूट लिया है और कानून अपना काम कर रहा है. 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और सीबीआई को केस दिया. सीबीआई चुनावों या गठबंधन के समय को ध्यान में रखते हुए काम नहीं करती है.’
सीबीआई ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में लघु खनिजों के कथित अवैध खनन मामले में शनिवार को 14 स्थानों पर तलाशी ली. सीबीआई ने बीते शनिवार को ही इस मामले में एक एफआईआर सार्वजनिक की है जिसमें आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला, समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप हैं.
Central Bureau of Investigation filed an FIR under Prevention of Corruption Act 1988 on 2 January in the UP illegal mining case. pic.twitter.com/ymDgkukZhq
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 5, 2019
एफआईआर के मुताबिक 2012 से 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने 2012-13 के दौरान खनन मंत्रालय अपने पास रखा था इसलिए इनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है.
यादव के बाद गायत्री प्रजापति ने 2013 में खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और 2017 में चित्रकूट की रहने वाली एक महिला द्वारा बलात्कार की शिकायत के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
इस मुद्दे की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित किए जाने के लगभग ढाई साल बाद यह अवैध खनन के मामलों से संबंधित एक तीसरी एफआईआर है जो एजेंसी द्वारा 2 जनवरी 2019 को दर्ज की गई थी.
(समाचार एजेंसी पीटीआई की इनपुट के साथ)