प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि क़र्ज़ माफ़ी पूरी तरह से मूर्खतापूर्ण नीति है.
नई दिल्ली: प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि कृषि कर्ज मांफी उतनी गलत या मूर्खतापूर्ण नीति नहीं है जितनी की लोग सोचते हैं.
मिंट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि कर्ज माफी पूरी तरह से गलत नीति है.
उन्होंने कहा, ‘कृषि संकट कई समस्याओं में से एक है. 1920 के दशक से ही हम इस पर चर्चा कर रहे हैं. मैं लोगों के इस बात से सहमत नहीं हूं कि कर्जमाफी पूरी तरह से गलत चीज है. इसमें निश्चित रूप से प्रोत्साहन समस्या (इंसेंटिव प्रॉब्लम) है, लेकिन कई समानता नीतियों में एक प्रोत्साहन समस्या है.’
सेन ने कहा कि यह कहना कि हम प्रगतिशील टेक्सेशन नहीं करेंगे क्योंकि इसमें प्रोत्साहन समस्या है तो एक बड़ी गलती होगी. यहां, सवाल यह है कि आप अपने उद्देश्यों को देखते हुए प्रोत्साहन समस्या से कैसे निपट सकते हैं.
अमर्त्य सेन ने अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा, ‘मैं शान्तिनिकेतन में पला जो कि आदिवासी गांवों से घिरा हुआ था. हमारे घर और चावल मिल के बीच तीन या चार मील दूर, धान के खेतों के अलावा कुछ नहीं था. ये छोटे प्लॉट थे जो ज्यादातर आदिवासियों के थे. अब वही जगह घरों से भरा हुआ है, क्योंकि किसान कर्ज में डूब गए और उसे अपनी जमीन बेचना पड़ा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इससे बड़ी सीख यह है कि किसानों को अपनी जमीन बेचनी पड़ी क्योंकि वे बहुत ज्यादा कर्ज में थे. कर्ज माफी उतनी मूर्खतापूर्ण नीति नहीं है जितनी आप सोच सकते हैं. जो लोग कर्ज में डूब गए हैं, उनके पास कई सारी समस्याएं होती हैं और यह एक तरह से उनकी गलती हो सकती है.’
अमर्त्य सेन ने कहा कि मूलभूत समस्या यह है कि हमारे पास कृषि पर निर्भर बहुत सारे लोग हैं और इसकी बड़ी वजह यह है कि हमारे विनिर्माण क्षेत्र (मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर) में रोजगार सृजन खराब रहा है. यूपीए सरकार की तुलना में यह अब और भी खराब है.
उन्होंने कहा, ‘पिछली कांग्रेस सरकार में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्थिति काफी खराब थी लेकिन उन्होंने वर्तमान मोदी सरकार की तुलना में अधिक रोजगार उत्पन्न किया था. इस सरकार में इसकी भारी कमी है.’
मालूम हो कि हाल में रघुराम राजन, अरविंद सुब्रमण्यम जैसे कुछ अर्थशास्त्रियों ने कृषि कर्ज मांफी की नीति को सही नहीं बताया है. हालांकि किसानों और कृषि संगठन से जुड़ लोगों का कहना है कि अगर बड़े-बड़े बिजनेस घरानों के कई करोड़ों के कर्ज माफ किए जाते हैं तो किसानों के लिए क्यों नहीं ऐसा हो सकता.
कृषि मामलों के जानकारों का कहना है कि कर्ज माफी कृषि समस्या का पूर्ण हल नहीं है. हालांकि इससे किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी.