बिहार बालिका गृह: सीबीआई ने बताया, बच्चियों को अश्लील गानों पर नचाया, मेहमानों ने रेप किया

सीबीआई ने 73 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे बालिका गृह के मालिक ब्रजेश ठाकुर ने लड़कियों को खुले कपड़े पहनने, भोजपुरी गानों पर नाचने, नशा करने और मेहमानों द्वारा बलात्कार करने के लिए मजबूर किया.

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बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में बच्चों से बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

सीबीआई ने 73 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे बालिका गृह के मालिक ब्रजेश ठाकुर ने लड़कियों को खुले कपड़े पहनने, भोजपुरी गानों पर नाचने, नशा करने और मेहमानों द्वारा बलात्कार करने के लिए मजबूर किया.

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में बच्चों से बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में बच्चों से बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

पटना: सीबीआई ने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में रहने वाली नाबालिग लड़कियों को मालिक व अन्य लोगों के साथ यौन संबंध बनाने और अश्लील गानों पर नाचने के लिए मजबूर किया जाता था.

एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक सीबीआई ने 73 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे बालिका गृह के मालिक ब्रजेश ठाकुर ने लड़कियों को खुले कपड़े पहनने, भोजपुरी गानों पर नाचने, नशा करने और मेहमानों द्वारा बलात्कार करने पर मजबूर किया.

जो लोग ऐसा करने से मना करते थे उन्हें रात में सिर्फ रोटी और नमक दिया जाता था, जबकि जो लोग अश्लील गानों पर नाचने थे उन्हें अच्छा खाना दिया जाता था. ठाकुर और 20 अन्य के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत के दर्ज किया गया है और आरोप पत्र दाखिल किया गया.

ब्रजेश ठाकुर को कथित तौर पर बिहार के कई राजनेताओं खासकर जनता दल (यूनाइटेड) का करीबी माना जाता हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले की सुनवाई करते हुए उन्हें एक “बहुत प्रभावशाली व्यक्ति” कहा था.

वकील और बाल अधिकार कार्यकर्ता केडी मिश्रा ने कहा है कि सीबीआई ने उन सरकारी अधिकारियों के नाम छोड़ दिए हैं जो उत्पीड़न के बारे में जानते थे और उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया.

उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ‘पॉक्सो अधिनियम की धारा 19 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के पास अपराध की जानकारी होने पर पुलिस को सूचना प्रदान की जाएगी. अधिकारियों ने मामले की रिपोर्ट क्यों नहीं की जबकि उन्हें 2018 की शुरुआत से ही इसकी जानकारी थी?’

मालूम हो कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा किए गए एक सामाजिक ऑडिट के बाद सालों से चलते चले आ रहे बालिका गृह में यौन शोषण और उत्पीड़न का खुलासा हुआ था.

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर शहर में स्थित एक बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो चुकी है. इससे पहले यहां रह रहीं 29 लड़कियों से बलात्कार की पुष्टि हुई थी.

बलात्कार की शिकार हुई लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं.

इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों- किरण कुमारी, मंजू देवी, इंदू कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रोशन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

इस मामले में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कुमार सरकार पर ब्रजेश ठाकुर को समर्थन देने का आरोप लगाया गया था.