नई परिभाषा से भारत में दृष्टिहीनों की जनसंख्या 1.20 करोड़ से घटकर 80 लाख हो जाएगी.
भारत ने दृष्टिहीनता की चार दशक से अधिक समय पुरानी परिभाषा को बदलते हुए इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंड के अनुरूप कर दिया. यह क़दम देश में दृष्टिहीन माने जाने वाले लोगों की संख्या को बहुत कम कर देगा.
नई परिभाषा के अनुसार, कोई व्यक्ति जो तीन मीटर की दूरी से उंगलियां नहीं गिन सकता उसे दृष्टिहीन माना जाएगा जबकि 1976 में अपनाई गई परिभाषा में यह दूरी छह मीटर की थी.
परिभाषा में संशोधन का उद्देश्य डेटा तैयार करने का भी है जिसकी तुलना वैश्विक अनुमानित आंकड़े से की जा सके और भारत में दृष्टिहीनों की संख्या वर्ष 2020 तक कुल जनसंख्या का 0.3 प्रतिशत तक कम करने का डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य हासिल किया जा सके.
इस संबंध में अधिसूचना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई.
नई परिभाषा के अनुसार, भारत में दृष्टिहीनों की जनसंख्या (राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण के आंकड़े के अनुसार) 1.20 करोड़ से घटकर 80 लाख हो जाएगी.
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम की उपमहानिदेशक डॉ. प्रोमिला गुप्ता ने कहा, पिछली परिभाषा के कारण, हम किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत से दृष्टिहीनों के बड़े आंकड़े पेश कर रहे थे जो हमें गलत स्थिति में पेश कर रहा था.
उन्होंने कहा, हमने कार्यक्रम के तहत जो डेटा एकत्रित किया उसकी वैश्विक अनुमानित आंकड़े से तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि अन्य देश डब्ल्यूएचओ की परिभाषा का अनुसरण कर रहे थे.