शिवसेना का मोदी सरकार से सवाल, आरक्षण तो दे दिया, नौकरियां कहां हैं?

केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि जब सत्ता में बैठे लोग रोज़गार और ग़रीबी दोनों मोर्चो पर विफल होते हैं तब वे आरक्षण का कार्ड खेलते हैं.

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Shirdi: Shiv Sena President Uddhav Thackeray speaks at a rally, in Shirdi, Sunday, Oct 21, 2018. (PTI Photo) (PTI10_21_2018_000214B)
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो: पीटीआई)

केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि जब सत्ता में बैठे लोग रोज़गार और ग़रीबी दोनों मोर्चो पर विफल होते हैं तब वे आरक्षण का कार्ड खेलते हैं.

Shirdi: Shiv Sena President Uddhav Thackeray speaks at a rally, in Shirdi, Sunday, Oct 21, 2018. (PTI Photo) (PTI10_21_2018_000214B)
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो: पीटीआई)

मुंबई: सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने को संसद से मंजूरी मिलने के एक दिन बाद शिवसेना ने बृहस्पतिवार को आश्चर्य व्यक्त किया कि नौकरियां कहां से आएंगी ? पार्टी ने साथ ही चेतावनी दी कि अगर यह एक चुनावी चाल है तो यह महंगा साबित होगी.

शिवसेना ने कहा कि मराठा समुदाय को भी महाराष्ट्र में आरक्षण दिया गया है लेकिन सवाल अभी भी यही बना हुआ है कि नौकरियां कहां है?

संसद ने बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा है, ‘जब सत्ता में बैठे लोग रोजगार और गरीबी दोनों मोर्चो पर विफल होते हैं तब वे आरक्षण का कार्ड खेलते हैं.’

इसमें पूछा गया है, ‘अगर यह वोट के लिए लिया गया निर्णय है तो यह महंगा साबित होगा. 10 प्रतिशत आरक्षण के बाद रोजगार का क्या होगा? आपको नौकरी कहां से मिलेगी?’

शिवसेना ने कहा भारत में, 15 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी हर महीने 13 लाख बढ़ रही है. 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को नौकरी देना अपराध है लेकिन बाल श्रम लगातार जारी है.

गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह सत्तारूढ़ भाजपा की गठबंधन सहयोगी है.

‘सामना’ में कहा गया है कि देश में रोजगार की दर को संतुलित बनाए रखने के लिए हर साल 80 से 90 लाख नए रोजगारों की जरूरत है लेकिन यह गणित कुछ समय से असंतुलित है.

सामना ने अपने मराठी संस्करण में कहा है, ‘पिछले दो सालों में नौकरी के अवसर बढ़ने के बजाय कम हुए हैं और नोटबंदी एवं जीएसटी लागू किये जाने के कारण करीब 1.5 करोड़ से लेकर दो करोड़ नौकरियां गई हैं. युवाओं में लाचारी की भावना है.’

शिवसेना ने दावा किया कि 2018 में रेलवे में 90 लाख नौकरियों के लिए 2.8 करोड़ लोगों ने आवेदन किया. इसके अलावा मुंबई पुलिस में 1,137 पदों के लिए चार लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया और कई आवेदनकर्ता आवश्यक योग्यता से अधिक शैक्षणिक योग्यता रखते थे.

संपादकीय में चुटकी लेते हुये यह भी कहा गया कि, ‘सरकार के 10 प्रतिशत आरक्षण के बाद क्या योग्य युवा कुछ हासिल कर पाएंगे? युवाओं को पकौड़ा तलने की सलाह देने वाले प्रधानमंत्री को आखिरकार आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण देना पड़ा.’