सामाजिक संस्था पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर और उसमें मारे गए लोगों की सीबीआई और एसआईटी द्वारा जांच कराई जानी चाहिए. कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी किया.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय सोमवार को उत्तर प्रदेश में कथित मुठभेड़ों और इसमें लोगों के मारे जाने की घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआई या विशेष जांच दल से जांच कराने के लिये दायर याचिका पर विस्तार से सुनवाई के लिये सहमत हो गया.
जांच के लिए सामाजिक संस्था पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) ने जनहित याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया है.
Supreme Court issues notice Uttar Pradesh government on a PIL seeking a court-monitored CBI or SIT probe into recent encounter killings in the state.
CJI Ranjan Gogoi says it’s a very serious matter which requires detailed hearing. Matter posted for further hearing on Feb 12.— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 14, 2019
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के अवलोकन के बाद कहा कि पीयूसीएल संगठन की याचिका में उठाए गए मुद्दों पर गंभीरता से विचार की आवश्यकता है. पीठ इस मामले पर 12 फरवरी को सुनवाई करेगी.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हालांकि दावा किया कि राज्य प्रशासन ने सभी मानदंडों और प्रक्रियाओं का पालन किया है.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने इस संगठन की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2017 में करीब 1100 मुठभेड़ें हुई हैं जिनमें 49 व्यक्ति मारे गए और 370 अन्य जख़्मी हुए.
इस संगठन ने अपनी याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार के हवाले से प्रकाशित ख़बरों का जिक्र किया है जिनमें राज्य में अपराधियों को मारने के लिए मुठभेड़ों को न्यायोचित ठहराया है.
याचिका में इन सभी मुठभेड़ों की केंद्रीय जांच ब्यूरो या विशेष जांच दल जैसी एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध किया गया है.
याचिका के अनुसार, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में बताया है कि एक जनवरी, 2017 से 31 मार्च 2018 के दौरान 45 व्यक्ति मारे गए हैं.
आज तक के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल करते हुए योगी सरकार ने बताया है कि उत्तर प्रदेश में बदमाशों के साथ हुई मुठभेड़ में चार पुलिसकर्मियों की मौत हुई है. मारे गए बदमाशों में 30 बहुसंख्यक समुदाय के थे. जबकि 18 बदमाश अल्पसंख्यक समुदाय से. सरकार ने कोर्ट को बताया था कि इस दौरान 98,526 अपराधियों ने सरेंडर भी किया है, जबकि 3,19,141 अपराधी गिरफ्तार किए गए. इन मुठभेड़ों के दौरान 319 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जबकि 409 अपराधी भी जख़्मी हुए.
मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने भी भारत सरकार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा न्यायिक हिरासत में हत्याओं के 15 मामलों की जानकारी के साथ पत्र लिखा है. उन्होंने संभावित 59 फर्जी एनकाउंटर मामलों का भी संज्ञान लिया है. शुक्रवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने इस पूरे मामले को बेहद चिंता का विषय बताया है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएसआर) के अधिकारियों ने पत्र में कहा है, ‘हम इन घटनाओं के स्वरूप से चिंतित हैं कि पीड़ित की हत्या करने से पहले उसे गिरफ्तार किया जा रहा है या उसका अपहरण हो रहा है. पीड़ित के शरीर पर निशान यातनाओं को बयान कर रहे हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)