केंद्रीय एजेंसी सीबीआई की जांच के दायरे में आने वाले सभी मामलों में अभियोजन निदेशक अपनी क़ानूनी राय देता है. आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद से एजेंसी अपने नियमित प्रमुख के बिना ही काम कर रही है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में ख़ाली पड़े अभियोजन निदेशक के पद को भरने के लिए विभिन्न मंत्रालयों से नाम मांगे हैं. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कार्यकारी स्तर के 16 प्रतिशत, क़ानूनी अधिकारियों के 28 प्रतिशत और तकनीकी स्तर पर क़रीब 56 प्रतिशत पद ख़ाली हैं.
मालूम हो कि सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों- आलोक वर्मा (पूर्व निदेशक) और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच मतभेद उभरने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया था.
आलोक वर्मा ने ख़ुद को छुट्टी पर भेजे जाने के मोदी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को वापस पद पर बहाल करने के आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मोदी सरकार ने आलोक वर्मा का तबादला कर दिया, जिस पर आलोक वर्मा ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद से एजेंसी अपने नियमित प्रमुख के बिना ही काम कर रही है.
अधिकारियों ने बताया कि अभियोजन निदेशक ओपी वर्मा का कार्यकाल 23 दिसंबर को पूरा हो गया था.
संघीय जांच एजेंसी में अभियोजन निदेशक का पद महत्वपूर्ण माना जाता है.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी की जांच के दायरे में आने वाले सभी मामलों में अभियोजन निदेशक अपनी क़ानूनी राय देता है और इस पद को संभालने वाला व्यक्ति सीबीआई निदेशक के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण में काम करता है.
उन्होंने बताया कि कार्मिक मंत्रालय ने सभी सरकारी विभागों के सचिवों को पत्र लिखकर योग्य एवं इच्छुक अधिकारियों के नाम मांगे हैं.
ये अधिकारी संयुक्त सचिव से नीचे के रैंक के नहीं होने चाहिए और विशेष लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्त किए जाने के लिए योग्य होने चाहिए.
अधिकारियों ने बताया कि उनसे 25 जनवरी से पहले नाम भेजे जाने को कहा गया है ताकि पद पर नियुक्ति के लिए तेज़ी से फैसला लिया जा सके.
अभियोजन निदेशक के पद पर नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की अनुशंसा पर की जाती है.
संसद की एक समिति ने हाल ही में सीबीआई में ख़ाली पदों पर चिंता ज़ाहिर की थी और सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रियता से कदम उठाने को कहा था कि एजेंसी में स्टाफ की कमी न हो.
पिछली महीने जारी की गई अपनी रिपोर्ट में संसदीय समिति ने कहा था, ‘सीबीआई में विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों की कमी एक स्थायी समस्या है. समिति ने इस समय को लेकर समय समय पर अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं. किसी भी संस्था में ख़ाली पद को भरने के लिए सक्रिय प्रयास किए जाने चाहिए. सीबीआई इस स्थिति से निपटने में असफल साबित हुई है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)