आरोप-पत्र में दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि साल 2016 में जेएनयू में हुए कार्यक्रम के दौरान पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 2016 में दर्ज राजद्रोह के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा अन्य के ख़िलाफ़ सोमवार को आरोप-पत्र दाख़िल किया.
पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए पूर्व छात्रों उमर ख़ालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य के ख़िलाफ़ भी आरोप-पत्र दाख़िल किया.
यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफज़ल गुरु को फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था.
इस मामले में कश्मीरी छात्र-छात्राओं आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के ख़िलाफ़ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोप-पत्र की कॉलम संख्या 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता डी. राजा की पुत्री अपराजिता, जेएनयूएसयू की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार और बनोज्योत्सना लाहिरी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों के नाम हैं क्योंकि इन लोगों के ख़िलाफ़ सबूत अपर्याप्त हैं.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद ने आरोप-पत्र सक्षम अदालत में मंगलवार को विचार के लिए सूचीबद्ध किया.
आरोपियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), 323 (किसी को चोट पहुंचाने के लिए सज़ा), 465 (जालसाज़ी के लिए सज़ा), 471 (फ़र्ज़ी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करना), 143 (ग़ैरक़ानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सज़ा), 149 (ग़ैरक़ानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होना), 147 (दंगा फैलाने के लिए सज़ा) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
आरोप-पत्र में सीसीटीवी के फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और दस्तावेज़ी प्रमाण भी हैं. पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था.
भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में 11 फरवरी 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए तथा 120बी के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.
एबीवीपी ने कथित आयोजन को ‘राष्ट्र विरोधी’ बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी. इसके बावजूद यह आयोजन हुआ था.