बुलंदशहर के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जमानत नहीं देने के लिए इन पर रासुका लगाया गया है. अगर जमानत मिलता है तो ये सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिला प्रशासन ने स्याना तहसील में पिछले महीने हुई कथित गोकशी की घटना के संबंध में गिरफ्तार तीन लोगों पर सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा दिया है.
कथित गोकशी का आरोप लगाकर बजरंग दल के लोगों ने विरोध प्रदर्शन तथा तोड़-फोड़ की जिसमें पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा 20 वर्षीय सुमित नाम के युवक की भी गोली लगने से मौत हो गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अजहर, नदीम उर्फ नदीमुद्दीन और महबूब अली पर रासुका लगाया गया है, जिन्हे गौ-हत्या अधिनियम, 1955 की धारा 3,5 और 8 के तहत गिरफ्तार किया गया था. तीनों आरोपी स्याना के निवासी हैं.
बुलंदशहर के जिलाधिकारी अनुज झा ने कहा, ‘इन आरोपियों के कृत्य से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची. विरोध स्वरूप लोगों ने तीन दिसंबर को हिंसात्मक प्रदर्शन किया. तीनों की जमानत अर्जी आई हुई है, इसलिए हमने रासुका लगाया है. हम यह मानते हैं कि अगर इन्हें जमानत मिलती है तो ये सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.’
बुलंदशहर पुलिस ने मुख्य आरोपी योगेश राज और शिखर अग्रवाल सहित इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की कथित हत्या के लिए 35 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन दंगा और हत्या के आरोपियों के खिलाफ अभी तक रासुका नहीं लगाया गया है. प्रशासन इन पर भी रासुका लगाने पर विचार करेगा, जब इनकी जमानत अर्जी लगाई जाएगी.
अनुज झा ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए रासुका लगाया है कि किसी आरोपी की रिहाई पर कोई कानून-व्यवस्था में समस्या की स्थिति पैदा न हो.’ एक अधिसूचना में यूपी के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय ने दावा किया कि रासुका की कार्रवाई इसलिए शुरू की गई क्योंकि गोहत्या के कारण माहौल आतंकित हुआ और स्याना क्षेत्र में शांति भंग हुई.
पुलिस अधीक्षक (शहर) अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा, ‘रासुका की कार्रवाई गोहत्या के अन्य आरोपियों के खिलाफ भी की जाएगी. दंगा और पुलिसकर्मी की हत्या के मामले में अभियुक्त के लिए भी यही सिद्धांत लागू किया जाएगा. अभी तक मामले की जांच चल रही है.’
बता दें कि स्याना थाने के गांव महाव के बाहर खेतों में पिछले महीने तीन दिसंबर को मवेशियों के कंकाल मिले थे, जिसके बाद भीड़ ने उत्पात मचाते हुए चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हमला कर दिया था. पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह (44) और चिंगरावठी के एक व्यक्ति सुमित कुमार (20) की इस हिंसा में गोली लगने से मौत हुई थी.
इस घटना के संबंध में स्याना थाने में दो प्राथमिकी दर्ज हुई थी. पहली प्राथमिकी हिंसा के संबंध में दर्ज हुई, जिसमें करीब 80 लोगों को नामजद किया गया है. जबकि दूसरी प्राथमिकी गोकशी के लिए दर्ज हुई थी.