पत्र में कहा गया है, ‘आपकी सरकार में देश के विकास को गति देने के लिए रोजगार और नौकरियों के सृजन का बार बार वादा किए जाने के बावजूद देश की एकमात्र रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को धीरे धीरे समाप्त किया जा रहा है.’
नई दिल्ली: ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा में कोष की कमी के बारे में चिंता जाहिर करते हुए सांसदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 250 लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है.
प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में 250 लोगों के हस्ताक्षर हैं और इसके माध्यम से प्रधानमंत्री से इस योजना को मजबूत करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर काम करने का आग्रह किया गया है. पत्र लिखने वालों में संसद के लगभग 90 सदस्य और 160 प्रतिष्ठित नागरिक – जिनमें पूर्व नौकरशाह, प्रमुख अर्थशास्त्री, प्रमुख कार्यकर्ता और किसान आंदोलनों के नेता शामिल हैं.
पत्र में यह भी कहा गया है कि इसे वर्तमान ग्रामीण और कृषि संकट से निपटने के उपायों के हिस्से के रूप में शामिल किया जाए. इस साल एक जनवरी तक मौजूदा वित्त वर्ष के समाप्त होने से तीन महीने पहले ही मनरेगा योजना का 99 फीसदी से अधिक कोष खर्च हो चुका है.
पत्र में कहा गया है, ‘आपकी सरकार में देश के विकास को गति देने के लिए रोजगार और नौकरियों के सृजन का सार्वजनिक रूप से बार बार वादा किए जाने के बावजूद देश की एकमात्र रोजगार गारंटी योजना को क्रमबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है.’
इसमें कहा गया है, ‘इसके बजट आवंटन पर अवैध तरीके से रोक, भुगतान में देरी और कम वेतन इस योजना को खराब कर रहा है और यह वंचित तबकों को उनके अति महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार से वंचित कर रहा है.’
सांसदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, घटती कृषि आय और बढ़ती असमानता से ग्रामीण भारत में संकट की स्थिति के बीच इस योजना में कोष का संकट पैदा हो गया है.
(प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए पत्र को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)