ओडिशा: हॉस्टल में नाबालिग छात्रा द्वारा जन्म दिए गए शिशु की मौत, एनएचआरसी का सरकार को नोटिस

ओडिशा के कंधमाल ज़िले के एक सरकारी आदिवासी आवासीय विद्यालय में 14 साल की नाबालिग लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया था. इस मामले में प्रिंसिपल समेत तीन लोगों को निलंबित कर दिया गया है.

ओडिशा के कंधमाल ज़िले के एक सरकारी आदिवासी आवासीय विद्यालय में 14 साल की नाबालिग लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया था. इस मामले में प्रिंसिपल समेत तीन लोगों को निलंबित कर दिया गया है.

Odisha child birth case
ओडिशा के कंधमाल में एक आवासीय विद्यालय में एक नाबालिग लड़की द्वारा बच्चे को जन्म देने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. (फोटो साभार: एएनआई)

भुवनेश्वर: ओडिशा के कंधमाल जिले के एक सरकारी आदिवासी आवासीय विद्यालय में 14 साल की नाबालिग लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया था. अब उस नवजात शिशु की मौत हो गई.

आठवीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा ने शनिवार रात को बच्चे को जन्म दिया था. ओडिशा सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को विद्यालय की प्रिंसिपल राधारानी दालेई और तीन सहायक अधीक्षकों को निलंबित कर दिया.

पुलिस अपनी जांच के तहत विद्यालय के छह कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है. कंधमाल की जिला कल्याण अधिकारी चारूलता मलिक ने बताया कि किशोरी और नवजात को सबसे पहले जिले के बालीगुडा उपखंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

मलिक ने कहा कि लड़की ने आरोप लगाया है कि उसे और उसके बच्चे को छात्रावास से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने पास के एक जंगल में शरण ली थी.

अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि रविवार की रात उन्हें एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां नवजात शिशु की मौत हो गई. लड़की का अस्पताल में इलाज चल रहा है और उनकी हालत स्थिर है.

राज्य के अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति विकास मंत्री रमेश मांझी ने कहा कि जिला अधिकारी से उन परिस्थितियों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है, जिसके तहत लड़की गर्भवती हुई और उन्होंने बच्चे को जन्म दिया.

मंत्री ने कहा कि राज्य के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एसटी/एससी) विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस हाईस्कूल के कर्मचारियों को निलंबित कर कड़ी कार्रवाई की गई है.

मांझी ने कहा कि विद्यार्थियों विशेषकर लड़कियों की सुरक्षा के उपाय के तहत राज्य के स्कूली छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्णय किया गया है.

सोमवार को कांग्रेस और भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने बेहरामपुर अस्पताल में पीड़ित किशोरी से मुलाकात की. राज्य महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमित्रा जैना ने एससी/एसटी विकास मंत्री के इस्तीफे की मांग की.

उन्होंने कहा कि पीड़ित किशोरी बुरी तरह से सदमे में है और ठीक से बोल पाने की भी स्थिति में नहीं है.

उन्होंने इस घटना को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि बीजू जनता दल (बीजद) सरकार लड़कियों एवं महिलाओं खासकर आदिवासियों को सुरक्षा प्रदान करने में बुरी तरह विफल रही है.

इस घटना को लेकर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव और पुलिस की निष्क्रियता के चलते महिलाओं एवं किशोरियों का यौन शोषण ओडिशा में बढ़ रहा है.

वहीं इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. एसपी प्रतीक सिंह ने कहा, ‘प्रारंभिक पूछताछ से पता चला है कि 7-8 महीने पहले जब पीड़िता अपने घर गई थी, तब गांव में एक 23 वर्षीय व्यक्ति ने उनके साथ बलात्कार किया गया था.’

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ओडिशा सरकार को नोटिस जारी किया

इस घटना के संबंध में मीडिया की रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को राज्य सरकार को नोटिस भेजा. आयोग ने ओडिशा सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में चार हफ्ते के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

मानवाधिकार आयोग ने बयान जारी कर बताया कि बच्चे के जन्म के बाद छात्रा को नवजात के साथ हॉस्टल से बाहर खदेड़ दिया गया और उसे एक जंगल में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा.

नोटिस में कहा गया है कि मीडिया में खबर आई थी कि आठवीं कक्षा की 14 वर्षीय छात्रा ने कंधमाल जिले में स्थित सरकारी आवासीय विद्यालय में 12 जनवरी को एक बच्चे को जन्म दिया था. आयोग ने मीडिया में आई इस खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है.

आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई एवं नाबालिग लड़की के राहत एवं पुनर्वास संबंधी विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)