आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बाद अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में शक्तिकांत दास ने कहा कि तेल, खाद्य-पदार्थ और तमाम वस्तुओं की कीमतों में अनिश्चितता की स्थिति महंगाई के मूल्यांकन में बाधक हैं. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने विकास दर के आंकड़ों को बोगस बताया.
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आर्थिक वृद्धि तो ठीक है लेकिन मंहगाई चिंता की बात है. इसके साथ ही उन्होंने वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंत तक मॉनिटरी पॉलिसी में बदलाव की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बाद अपना पहला सार्वजनिक संबोधन देते हुए दास ने कहा कि तेल, खाद्य-पदार्थ और तमाम वस्तुओं की कीमतों में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है जो महंगाई का आंकलन करने में बाधक है. वे शुक्रवार को गुजरात के गांधीनगर में वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2018 के बाद से महंगाई दर में काफी कमी रही है और तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. खाद्य और तेल मंहगाई दर 6 फीसदी के करीब रहा.’
वहीं दूसरी तरफ, उनका मानना है कि निजी उपभोग और निवेश की बदौलत विकास की रफ्तार कायम रहेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक के अनुमान के आधार पर उन्होंने उम्मीद जताई की इस साल भारत की विकास दर 7.5 फीसदी रहने वाली है.
जबकि 2018-19 में 12.2 फीसदी रहने वाले निवेश को लेकर गवर्नर दास ने उम्मीद जताई की आगामी सत्र में भारत में निवेश का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता है.
दास ने कहा, ‘वैश्विक वृद्धि में संभावित खतरे के बावजूद देश में व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि हमें भी किसी भी वैश्विक संकट से निपटने के लिए तैयार रहना होगा.’
इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में आरबीआई अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में कोई तब्दीली नहीं करने जा रही. इसका सीधा मतलब है कि आगामी दिनों में रिजर्व बैंक रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने वाला.
एक दिन पहले आरबीआई गवर्नर के साथ बैठक में कारोबारियों ने निवेश शुरू करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट और नकदी रिजर्व के अनुपात में कमी की मांग की थी. दरअसल, पिछले साल 5 दिसंबर को हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने अपनी नीति समीक्षा में रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा था.
उच्चतम विकास दर का भाजपा का दावा फर्जी आंकड़ों पर आधारित: चिदंबरम
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अपनी सरकार के कार्यकाल में सबसे अधिक विकास दर होने का बयान दिए जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि यह दावा नीति आयोग द्वारा गढ़े गए फर्जी आंकड़ों पर आधारित है.
चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘राजग सरकार में उच्चतम विकास दर होने का भाजपा का दावा नीति आयोग द्वारा रचित फर्जी आंकड़ों पर आधारित है.’ उन्होंने कहा, ‘इन आंकड़ों को प्रत्येक जाने-माने अर्थशास्त्री और सांख्यिकीविद् ने सिरे से खारिज किया है.’
The BJP's claim of 'highest growth rate' under NDA is based on the bogus numbers produced by Niti Aayog.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 19, 2019
उन्होंने कहा कि पहले प्रकाशित किए गए सीएसओ आंकड़े और रियल सेक्टर सांख्यिकी पर एनएससी कमेटी द्वारा अगस्त में जारी आंकड़े ही विश्वसनीय हैं. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘आजादी के बाद से सबसे बढ़िया विकास संप्रग 1 के दौरान (2004-2009) में हुआ और वास्तव में वह अब तक का सबसे उम्दा विकास था.’
गौरतलब है कि वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-2019 का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि उनकी सरकार में औसत जीडीपी 7.3 प्रतिशत रही है. 1991 के बाद से अब तक किसी सरकार के कार्यकाल में यह विकास दर दर्ज नहीं की गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)