प्रदर्शन में भाग लेने वाली चार ननों को पहले ही जारी किया जा चुका है तबादला आदेश. कथित पीड़िता नन के साथ चारों ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को पत्र लिख कर अपने तबादला आदेश के क्रियान्वयन पर मामले की सुनवाई पूरी होने तक रोक सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था.
कोच्चि: बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ केरल के कोच्चि में प्रदर्शन में शामिल रही एक नन को उनके समूह ने तबादला आदेश जारी किया है. केरल में चार अन्य ननों को अपना कॉन्वेंट छोड़ने के लिए कहे जाने के आदेश के कुछ ही दिनों बाद यह कदम उठाया गया है.
कथित पीड़िता नन के साथ रह रहीं सिस्टर नीना रोज को मिशनरीज ऑफ जीसस समूह के जालंधर कॉन्वेंट को रिपोर्ट करने और सुपीरियर जनरल सीनियर रेगीना कंदमथोट्टू से 26 जनवरी को मिलने के लिए कहा गया है.
समूह प्रमुख ने आरोप लगाया है कि सिस्टर समुदाय और इसके रोजमर्रा के धार्मिक जीवन का हिस्सा बने रहने से इनकार कर बगावत के रास्ते पर जा रही हैं. रोज को लिखे अपने पत्र में समूह के सुपीरियर जनरल ने चेतावनी दी है कि आदेश का अनुपालन करने में नाकाम रहने को जानबूझ कर किया गया उल्लंघन (आदेश का) माना जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रोज ने कहा कि उन्होंने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि वह 26 जनवरी को सुपीरियर जनरल से मिलने जाएंगी या नहीं जैसा कि उन्हें नोटिस भेजा गया है. उन्होंने कहा, ‘अगर मैं जालंधर नहीं गई तो उन्होंने मुझे कार्रवाई की धमकी दी है.’
गौरतलब है कि इससे पहले, प्रमुख ने प्रदर्शन में भाग लेने वाली चार ननों को तबादला आदेश जारी किया था. इसके बाद कथित पीड़िता नन और चार अन्य ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को पत्र लिख कर अपने तबादला आदेश के क्रियान्वयन पर मामले की सुनवाई पूरी होने तक रोक सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था. उन्होंने दावा किया था कि ये आदेश मामले को दबाने की कोशिश हैं और यह एक तरह की मानसिक प्रताड़ना है.
इससे पहले ननों ने आरोप लगाया था कि मामले के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद सुपीरियर जनरल उनकी मदद करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर रही हैं. एक नन ने कहा था, ‘सिस्टर रेगिना ने इस मामले में अपनी आंखें बंद कर ली हैं. हम यहां केवल अपनी पीड़िता साथी की मदद के लिए आए थे. लेकिन सारी मदद केवल फ्रैंको के लिए है.’
वहीं, जालंधर डायोसीस के प्रवक्ता फादर पीटर कुवंपुरम ने कहा था कि ननों के तबादला आदेश में मुलक्कल और डायोसीस की कोई भूमिका नहीं है. उन सभी के तबादले का फैसला मिशनरीज ऑफ जीसस का है.
बता दें कि एक नन ने जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच उसके साथ 13 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है. यह घटना जालंधर डायोसीस द्वारा कोट्टयम जिले में संचालित कॉन्वेंट के बिशप के दौरे के दौरान हुई.
बिशप ने इन आरोपों का खंडन किया है. हालांकि 54 वर्षीय बिशप को अस्थाई रूप से धर्मगुरू संबंधी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था.
बता दें कि नन से बलात्कार के आरोप में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को पिछले साल 21 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद 15 अक्टूबर को उन्हें अदालत से सशर्त जमानत मिल गई थी. जमानत पर रिहा होने के बाद जालंधर में उनका फूल-माला से स्वागत हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)