आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये का लोन देने को लेकर बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर पर हितों के टकराव का आरोप लगा था. सीबीआई की एफआईआर में उनके पति पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत का भी नाम है. सीबीआई ने इन दोनों के दफ़्तरों पर भी छापे मारे हैं.
नई दिल्ली: सीबीआई ने बृहस्पतिवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर के खिलाफ 3,250 करोड़ रुपए के आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन ऋण मामले में एफआईआर दर्ज की.
एफआईआर में उनके पति और न्यूपावर व सुप्रीम एनर्जी के एमडी दीपक कोचर और वीडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल धूत का भी नाम है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियोकॉन के मुंबई और औरंगाबाद स्थित कार्यालयों और न्यूपावर एवं सुप्रीम एनर्जी के मुंबई स्थित नरीमन प्वाइंट दफ्तर में छापे मारे जाने के कुछ घंटे बाद ही आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया. अधिकारियों ने बताया कि छापे मारने का काम बृहस्पतिवार सुबह शुरू किया गया.
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि यह आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश कर निजी कंपनियों को ऋणों की मंजूरी दी गयी.
उन्होंने कहा कि चंदा, उनके पति दीपक और धूत के अलावा एजेंसी ने प्राथमिकी में न्यूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रोनिक्स लि. और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लि. को भी आरोपी बनाया गया है.
प्राथमिकी आपराधिक साजिश से जुड़ी आईपीसी की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू 420 और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम, 1988 की धारा 7, धारा 13 (2) आर/डब्ल्यू13 (1) (घ) के तहत दर्ज की गई है.
एजेंसी ने मामला दर्ज करने के बाद विभिन्न स्थानों पर छापे मारे. इन स्थानों में वीडियोकॉन समूह के मुंबई और औरंगाबाद कार्यालय, न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्रा. लि. और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालय शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने धूत, दीपक कोचर और अज्ञात अन्य के खिलाफ पिछले साल मार्च में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी. सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पीई दर्ज करती है ताकि वह सबूत एकत्र कर सके. एजेंसी ने इस पीई को प्राथमिकी में बदल दिया है.
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इस मामले में सीबीआई बैंक के मौजूदा और पूर्व उच्च अधिकारियों- संदीप बक्षी, केवी कामथ, एनएस कन्नन के रामकुमार, संजय चटर्जी, होमी ख़ुसरोखान और ज़रीन दारुवाला की भूमिका की भी जांच करेगी.
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया, जिसके बदले में वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत द्वारा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को कारोबारी फ़ायदा पहुंचाने का आरोप है.
लोन का 86 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 2810 करोड़ रुपये चुकाया नहीं गया था. इसके बाद, 2017 में आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन के खाते को एनपीए में डाल दिया गया.
दिसंबर 2008 में धूत ने दीपक कोचर और चंदा के दो अन्य रिश्तेदारों के साथ एक कंपनी खोली, उसके बाद इस कंपनी को अपनी एक कंपनी द्वारा 64 करोड़ रुपये का लोन दिया. इसके बाद उस कंपनी (जिसके द्वारा लोन दिया गया था) का स्वामित्व महज 9 लाख रुपयों में एक ट्रस्ट को सौंप दिया, जिसके प्रमुख दीपक कोचर हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)