पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में निधन

लंबे समय से बीमार जॉर्ज फर्नांडिस अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री रहने के अलावा मोरारजी देसाई सरकार में भी उद्योग मंत्री रहे थे.

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जॉर्ज फर्नांडिस (फोटो: विकिपीडिया)

लंबे समय से बीमार चल रहे जॉर्ज फर्नांडिस अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री रहने के अलावा मोरारजी देसाई सरकार में उद्योग मंत्री थे.

जॉर्ज फर्नांडिस (फोटो: विकिपीडिया)
जॉर्ज फर्नांडिस (फोटो: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस का मंगलवार को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक, परिवार से जुड़े सूत्रों ने उनकी निधन की पुष्टि की. वह अलजाइमर से ग्रस्त थे. स्वास्थ्यगत कारणों से वह कई सालों से सार्वजनिक जीवन से दूर थे.

प्रखर समाजवादी नेता के रूप में पहचान रखने वाले समता पार्टी के संस्थापक जॉर्ज, अटल सरकार में 1998 से लेकर 2004 तक रक्षा मंत्री के रूप में काम किया, इसके अलावा वे एनडीए के संयोजक भी रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर जॉर्ज के निधन पर दुख जाहिर किया. उन्होंने लिखा, ‘जॉर्ज साहब ने भारत की राजनीति का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधित्व किया. वे निडर और दूरदर्शी थे. उन्होंने हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह गरीबों और हाशिए के अधिकारों के लिए सबसे प्रभावी आवाज़ों में से एक थे. उनके निधन से दुखी हूं.’

जॉर्ज बिहार के मुजफ्फरपुर से चार बार लोकसभा संसद भी चुने गए थे. हालांकि, 2009 में निर्दलीय मैदान में उतरे, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा.

3 जून 1930 को कर्नाटक में जन्मे जॉर्ज फर्नांडिस 10 भाषाओं के जानकार थे। वह हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन भाषा जानते थे.

उनकी मां किंग जॉर्ज पंचम की बड़ी प्रशंसक थीं। उन्हीं के नाम पर अपने छह बच्चों में से सबसे बड़े का नाम उन्होंने जॉर्ज रखा था.

जॉर्ज आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेता थे. इसके अलावा मजदूर तथा ट्रेड यूनियन के नेता के रूप में चर्चित हुए थे. वह 1977 से 1980 के बीच मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे थे.

नवभारत टाइम्स की ख़बर के अनुसार, आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए जार्ज फर्नांडिस को पगड़ी पहन और दाढ़ी रख कर सिख का भेष धारण किया था जबकि गिरफ्तारी के बाद तिहाड़ जेल में कैदियों को गीता के श्लोक सुनाते थे.

1974 की रेल हड़ताल के बाद वह कद्दावर नेता के तौर पर उभरे और उन्होंने बेबाकी के साथ आपातकाल लगाए जाने का विरोध किया था.

आपातकाल खत्म होने के बाद फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए ही मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से लड़ा था और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. जनता पार्टी की सरकार में वह उद्योग मंत्री बनाए गए थे. बाद में जनता पार्टी टूटी, फर्नांडिस ने अपनी पार्टी समता पार्टी बनाई और बीजेपी का समर्थन किया.

ग़ौरतलब है कि फर्नांडिस विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में रेल मंत्रालय का भी कार्यभार संभाला था. आख़िरी बार फर्नांडिस बिहार से 2009 से 2010 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे.