लोकपाल की नियुक्ति की मांग पर अन्ना हजारे ने ​भूख हड़ताल शुरू की

अन्ना हजारे ने कहा कि हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तब केंद्र सरकार सत्ता में आने से पहले किए गए अपने वादों जैसे- लोकायुक्त क़ानून बनाने, लोकपाल नियुक्त किए जाने तथा किसानों के मुद्दे सुलझाने को पूरा नहीं कर देती.

अन्ना हजारे. (फोटो: पीटीआई)

अन्ना हजारे ने कहा कि हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तब केंद्र सरकार सत्ता में आने से पहले किए गए अपने वादों जैसे- लोकायुक्त क़ानून बनाने, लोकपाल नियुक्त किए जाने तथा किसानों के मुद्दे सुलझाने को पूरा नहीं कर देती.

अन्ना हजारे. (फोटो: पीटीआई)
अन्ना हजारे. (फोटो: पीटीआई)

रालेगण सिद्धी/महाराष्ट्र: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर लोकपाल नियुक्त करने और राज्य में लोकायुक्त कानून बनाने का वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए बुधवार से भूख हड़ताल शुरू कर दी.

हजारे ने महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में अपने गांव रालेगण सिद्धी के पद्मावती मंदिर में सुबह पूजा की. इसके बाद उन्होंने छात्रों, युवाओं और किसानों के साथ यादवबाबा मंदिर तक यात्रा निकाली और फिर वहीं नज़दीक में भूख हड़ताल पर बैठ गए.

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने वाले अन्ना ने कहा कि वह महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के उस फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री के कार्यालय को लोकायुक्त के दायरे में लाने की बात कही गई है.

उन्होंने कहा कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तब सरकार सत्ता में आने से पहले किए गए अपने वादों जैसे लोकायुक्त क़ानून बनाने, लोकपाल नियुक्त किए जाने तथा किसानों के मुद्दे सुलझाने को पूरा नहीं कर देती.

इससे पहले महाराष्ट्र के मंत्री और सरकार तथा अन्ना हजारे के बीच दूत की भूमिका निभा रहे गिरीश महाजन ने मंगलवार को अन्ना से भूख हड़ताल को रद्द करने की अपील की थी. उन्होंने दावा किया था कि अन्ना की लगभग सभी मांगों को पूरा किया जा चुका है.

बीते मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में अन्ना ने कहा था, ‘ये मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष, पार्टी के विरुद्ध में नहीं है. समाज और देश की भलाई के लिए बार-बार मैं आंदोलन करता आया हूं, उसी प्रकार का ये आंदोलन है.’

अन्ना हज़ारे ने कहा था, ‘लोकपाल क़ानून बने पांच साल हो गए और नरेंद्र मोदी सरकार पांच साल बाद बार-बार बहानेबाज़ी कर रही है. मोदी सरकार के दिन में अगर होता तो क्या पांच साल लगना ज़रूरी था.’

मालूम हो कि साल 2011-12 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान पर तत्कालीन संप्रग सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा आंदोलन हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)