फैसलों को राजनीतिक रंग देना विशुद्ध रूप से अवमानना : सर्वोच्च न्यायालय

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने कहा कि न्यायपालिका की सेवा करने के लिए काफी बलिदान दिए गए हैं, जो सैन्य सेवा से कम नहीं है.

/
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: द वायर)

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने कहा कि न्यायपालिका की सेवा करने के लिए काफी बलिदान दिए गए हैं, जो सैन्य सेवा से कम नहीं है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि वकीलों द्वारा मीडिया में न्यायाधीशों की आलोचना करना बेहद आम हो गया है और फैसलों को राजनीतिक रंग देना विशुद्ध रूप से अवमानना है. न्यायालय ने हालांकि कहा कि अदालत के पास अवमानना की शक्ति ब्रह्मास्त्र की तरह का हथियार है, जिसका संयम के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि मीडिया ट्रायल के जरिए मामलों पर फैसला नहीं किया जाना चाहिए और शिकायतों से निपटने के लिए बार और बेंच दोनों का अपना तंत्र है और बाहरी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती है. न्यायालय ने कहा कि जिन न्यायाधीशों पर हमला किया जाता है उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे प्रेस या मीडिया में अपनी राय नहीं रखेंगे.

न्यायालय ने कहा कि वकीलों से अपेक्षा की जाती है कि वे धन लोलुप नहीं होंगे और निष्पक्ष फैसले को प्रभावित करने में उन्हें शामिल नहीं होना चाहिए. समय-समय पर न्यायिक व्यवस्था पर किए गए विभिन्न हमलों का उल्लेख करते हुए न्यायालय ने कहा कि न्यायपालिका की सेवा करने के लिए काफी बलिदान दिए गए हैं, जो सैन्य सेवा से कम नहीं है.

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने कहा कि जब भी किसी राजनीतिक मामले में फैसला किया जाता है तो बेईमान लोग/वकील राजनीतिक आक्षेप लगाते हैं. पीठ ने ये टिप्पणी 28 जनवरी के अपने फैसले में की, जिसमें वकीलों को वकालत करने से रोकने समेत मद्रास उच्च न्यायालय के कुछ संशोधित नियमों को निरस्त किया गया है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें हिंसा करने, जजों को धमकाने या मुवक्किल के पक्ष में फैसला दिलाने के लिए घूस लेने जैसा अनुशासन करने पर वकालत करने से रोकने का प्रावधान था. इन नियमों को वकील आर मुरलीकृष्ण ने इस आधार पर चुनौती दी थी कि ऐसा नियम बनाने का उच्च न्यायालय के पास कोई अधिकार नहीं है. ऐसे नियम बनाने का अधिकार केवल स्टेट बार काउंसिल या बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास है.

फैसला लिखने वाले जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘उच्च न्यायालय तब तक किसी वकील पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है जब तक वह अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत मुकदमा न चलाया जाए. यह पूरी तरह से बार काउंसिल के अधिकारों का हनन है इसलिए इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है.’

हालांकि उन्होंने वकीलों को फटकार लगाई और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नियमों में बदलाव का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा कि यह बार की जिम्मेदारी है कि वह ईमानदार जजों की रक्षा करे और उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल न होने दे. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि भ्रष्ट जज बच न पाएं. वहीं जब तक लोकतंत्र खतरे में न हो और पूरी न्यायिक व्यवस्था पर सवाल न उठ गया हो तब तक वकीलों को सड़कों पर नहीं उतरना चाहिए और ना ही हड़ताल करनी चाहिए. व्यवस्था में सुधार करने के लिए उन्हें कानूनी कदम उठाना चाहिए. उन्हें सार्वजनिक रूप से ऐसे आरोप लगाने की बजाय सक्षम प्रशासनिक अधिकारी के समक्ष भ्रष्ट जजों के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाहिए. न्यायपालिका में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.

कोर्ट ने कहा कि न्यायालय परिसर में प्रदर्शन निकालने, नारेबाजी करने, लाउडस्पीकर्स लगाने, जजों के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग करने और अदालत की शांति को भंग करने का कोई अधिकार नहीं है. इसकी पवित्रता महान आत्माओं के लिए संरक्षित किसी पवित्र स्थान से कम नहीं है. हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मद्रास उच्च न्यायालय के परिसर में वकीलों की अभद्रता की घटनाओं के कारण अदालत की गरिमा एवं सुरक्षा और कानून के शासन को बरकरार रखने के लिए सीआईएसएफ की आवश्यकता पड़ती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq