मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रवीण महाना का कहना है कि अगर सरकार की ओर से जल्द ही यह राशि जारी नहीं की जाती, तो हम सशस्त्र सेना की शाखाओं की सभी मौजूदा निर्माण परियोजनाओं समेत रखरखाव का काम रोकने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय द्वारा ठेकेदारों का बकाया 2000 करोड़ रुपये देने में अक्षमता के चलते देश के कई सेना छावनियों तथा पाकिस्तान बॉर्डर से सटी छावनियों में कई महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के काम प्रभावित हो रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, भुगतान न कर पाने के चलते आठ रनवे को बढ़ाने का काम, तेजस के लिए एक सुलुर एयरबेस, छह हैंगर प्रोजेक्ट शामिल हैं, जिसमें अंबाला और हाशिमीरा के प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, जो राफेल को रखने के लिए बनाए जा रहे हैं.
मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमईएस बीएआई) के अध्यक्ष प्रवीण महाना का कहना है, ‘सुलुर का रनवे, चंडीगढ़, सिरसा, पालम, इलाहाबाद, हैदराबाद, छाबुआ और दिनजन का काम या तो बंद होगया है या तो बेहद धीमा होगया है. यही हाल सिरसा, अंबाला, हाशिमीरा, ककईकुण्ड़ा, छाबुआ और दिनजन के हैंगरों का भी यही हाल है.’
महाना का कहना है कि भुगतान न किए जाने की वजह से उधमपुर और पुणे में दो मिलिट्ररी अस्पतालों का काम प्रभावित हुआ है. उधमपुर का कुछ थोड़ा काम हुआ है, लेकिन पुणे के अस्पताल का लगभग पूरा काम बाकी है और जो अब ठप हो चुका है.
उन्होंने बताया कि ‘अदर देन मैरिड हाउसिंग प्रोजेक्ट’ का पुंछ, राजौरी, लेह, कारगिल, बारामूला और अन्य जगहों के काम भी ठप हो चुके हैं.
हिंदुस्तान लाइव के अनुसार, ठेकेदारों का कहना है कि 1600 करोड़ रुपये की देनदारियों के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से पिछले साल दिवाली के बाद केवल 250 करोड़ रुपये का फंड रिलीज किया गया. इससे मौजूदा समय में ठेकेदारों की केंद्र सरकार पर बकाया राशि करीब 1600 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 2000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
महाना ने कहा कि सरकार की ओर से अगर 2000 करोड़ रुपये की राशि जल्द ही रिलीज नहीं होती और ठेकेदारों का भुगतान नहीं किया जाता तो सशस्त्र सेना की सभी शाखाओं के लिए हम सभी मौजूदा निर्माण परियोजनाओं का काम समेत रखरखाव और संचालन का काम रोकने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज के संबंधित विभागों को पैसा दिए जा रहे हैं और वे लोग इस मामले को देखेंगे.
एमईएस बीएआई के सदस्य सशस्त्र सेना की सभी तीन अंगों नौसेना, थल सेना और वायु सेना की मूल आधारभूत जरूरतों की पूर्ति करते हैं. यह इन परियोजनाओं के संचालन या रखरखाव का भी जिम्मा संभालते हैं.
यह सिर्फ सशस्त्र सेनाओं के लिए इमारतों का ही निर्माण नहीं करते, बल्कि रनवे भी बनाते हैं.