सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ रिश्वत मामले की जांच कर रहे डीएसपी एके बस्सी ने अपने तबादले को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सीबीआई को छह हफ़्तों में देना होगा जवाब.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक एके बस्सी की उस अपील पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से जवाब मांगा, जिसमें बस्सी ने अपना तबादला पोर्ट ब्लेयर किए जाने को चुनौती दी है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सीबीआई को एक नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा है.
बस्सी ने 21 जनवरी को अपने तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि यह दुर्भावना से प्रेरित है और इससे सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच प्रभावित होगी.
Supreme Court has issued notice to the CBI and interim Director M Nageshwar Rao after hearing a petition filed by DSP AK Bassi challenging the Centre's order to transfer him to Port Blair. pic.twitter.com/eggWEDpYqp
— ANI (@ANI) February 1, 2019
बस्सी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यह मामला सीबीआई के प्रशासन पर सवाल उठाता है. उन्होंने कहा कि इस मामले से जांच की पवित्रता भी प्रभावित होगी.
बस्सी के तबादले का आदेश 11 जनवरी को जारी हुआ था. इस आदेश को चुनौती देते हुए बस्सी ने कहा कि पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की अपील पर शीर्ष अदालत ने जो आदेश जारी किए थे, यह उसका उल्लंघन है.
अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले के जांच अधिकारी बस्सी ने कहा कि सीबीआई के वर्तमान अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव उन्हें निशाना बना रहे हैं. राव सीबीआई में मौजूद उन तत्वों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो नहीं चाहते कि वह अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करें.
बस्सी ने कहा कि राव ने 24 अक्तूबर 2018 को एक आदेश जारी कर उनका तबादला पोर्ट ब्लेयर कर दिया. राव के ही कहने पर उन्हें, सीबीआई के पूर्व निदेशक आलेाक वर्मा के मामले में इस अदालत के फैसले को नजरअंदाज कर अंडमान निकोबार द्वीपसमूह भेजा जा रहा है.
वर्मा से हालांकि एक उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने सीबीआई निदेशक के दायित्व ले लिए और अग्निशमन सेवा महानिदेशक के पद पर उनका तबादला कर दिया.
बस्सी ने कहा कि ऐसी आशंका है कि यह तबादला या तो उन्हें झूठे आपराधिक मामलों में फंसाने या उनके खिलाफ विभागीय जांच की दिशा में पहला कदम है क्योंकि उन्होंने अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी के मामले में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की थी. उन्होंने कहा कि यह एक अधिकारी के तबादले का सामान्य मामला नहीं है.
वर्मा के मामले में दिए गए आवेदन में उन्होंने कहा था कि उनका तबादला उस गहरी साजिश के तहत है जिसका उद्देश्य अस्थाना के खिलाफ जांच को प्रभावित करना है और मामले में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से जांच करने के लिए उन्हें परेशान करना है.
बस्सी ने कहा कि सीबीआई में काम करते हुए वह किसी भी गुट या धड़े का हिस्सा नहीं रहे और केंद्रीय जांच एजेंसी में उठे कथित विवादों से उनका कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसे किसी भी मामले में जांच दल का हिस्सा बनने का अधिकार नहीं मांगा जिसकी जांच सीबीआई कर रही है या जो टीम अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच कर रही है.
इससे पहले बीते 30 अक्टूबर 2018 को भी, राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे सीबीआई अफसर एके बस्सी ने अपनी तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
24 अक्टूबर 2018 को केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे 13 सीबीआई अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था.
आलोक वर्मा के डिप्टी एसपी एके बस्सी इनमें से एक थे. वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए एम. नागेश्वर राव के आदेश पर एके बस्सी का अंडमान व निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया था और उन्हें वहां सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा का डिप्टी एसपी नियुक्त किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)