भीमा कोरेगांव हिंसा से संबंधी मामले में आरोपी तेलुगु कवि वरवरा राव और वकील सुरेंद्र गाडलिंग को 2016 में गढ़चिरौली क्षेत्र की सूरजगढ़ खदानों में नक्सलियों द्वारा की गई आगजनी से जुड़े होने के आरोप में 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
नागपुर: भीमा कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोपी तेलुगु कवि वरवरा राव और वकील सुरेंद्र गाडलिंग को 2016 के सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया है.
गौरतलब है कि 25 दिसंबर 2016 को गढ़चिरौली की इटापल्ली तहसील में सूरजगढ़ खदानों से लोहा लेकर जाने वाले कम से कम 80 वाहनों को नक्सलियों ने फूंक दिया था.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि राव और गाडलिंग को बुधवार को पुणे से गिरफ्तार किया गया और उन्हें गुरुवार को गढ़चिरौली की अहेरी अदालत में पेश किया गया. दोनों को 11 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
Maharashtra: Varavara Rao and Surendra Gadling, both accused in Bhima Koregaon case handed over to Police in connection with a 2016 UAPA case. Both were produced before Aheri court of Gadchiroli district today where they have been sent to police custody for 11 days.
— ANI (@ANI) January 31, 2019
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास दोनों के इस मामले में शामिल होने के सबूत हैं.’ राव और गाडलिंग को 2017 में 31 दिसंबर को पुणे में हुई एल्गार परिषद के संबंध में गत वर्ष गिरफ्तार किया गया था.
इस कार्यक्रम के एक दिन बाद पुणे में जातिगत हिंसा भड़की थी और पुलिस ने आयोजकों पर माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप लगाए थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गढ़चिरौली के एसपी शैलेश बलकवड़े ने कहा, ‘हमें 2016 में सूरजगढ़ खदान के पास ट्रकों सहित 80 वाहनों को आग के हवाले किए जाने के मामले में गाडलिंग और राव की भागीदारी के साक्ष्य मिले हैं.’
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘हमारे पास जो कुछ दस्तावेज हैं, जिसमें इन लोगों के इस घटना से जुड़े होने की बात है. ये दस्तावेज गाडलिंग और राव और इन दोनों की एक वरिष्ठ काडर प्रकाश के बीच की बातचीत है. इन दस्तावेजों के मुताबिक ये दोनों कथित तौर पर आगजनी में शामिल थे.’
गढ़चिरौली पुलिस ने सूरजगढ़ मामले में गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत वरवरा राव और गाडलिंग की गिरफ्तारी की मांग की थी.
Collapse of the criminal justice system, ever-greening of FiRs against human rights activists #BhimaKoregaonArrests https://t.co/Ba0Z0Zwruf
— Indira Jaising (@IJaising) January 31, 2019
इस मामले में इनकी गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील और पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने ट्वीट कर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ इन प्राथमिकियों को साजिश और आपराधिक न्यायिक प्रणाली का पतन बताया.
उन्होंने इससे एक दिन पहले भी ट्वीट कर कहा था, ‘सुप्रीम कोर्ट नींद से जागिए. सुप्रीम कोर्ट भीमा कोरेगांव में फैसले पर सुप्रीम कोर्ट कुछ क्यों नहीं कर रही है. जैसा कि अनुमान था मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ लगातार एफआईआर दर्ज की जा रही है, जमानत नहीं मिल रही है. जमानत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)