मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ़्तारी पर 16 फरवरी तक रोक

दिल्ली की एक अदालत ने रॉबर्ट वाड्रा को अंतरिम ज़मानत दे दी. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला लंदन की एक संपत्ति का है.

रॉबर्ट वाड्रा. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली की एक अदालत ने रॉबर्ट वाड्रा को अंतरिम ज़मानत दे दी. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला लंदन की एक संपत्ति का है.

Robert Vadra PTI
रॉबर्ट वाड्रा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा को 16 फरवरी तक अंतरिम जमानत दे दी. विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने वाड्रा को छह फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश होने और जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया.

ईडी ने यह मामला दर्ज किया था.

लंदन स्थित संपत्ति के स्वामित्व को लेकर ईडी द्वारा दर्ज मामले में वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी ने विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार को बताया कि फिलहाल उनके मुवक्किल लंदन में हैं और वह जांच में सहयोग देंगे.

यह मामला कथित तौर पर लंदन के 12, ब्रायनसेट स्क्वायर स्थित संपति का है, जिसके मालिक कथित तौर पर वाड्रा हैं और इसकी कीमत 19 लाख पाउंड बताई जा रही है.

अदालत ने ईडी को नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तारीख पर वाड्रा की याचिका पर उनका रुख जानना चाहा. वाड्रा को राहत देते हुए न्यायाधीश ने वाड्रा के वकील को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की जमानत राशि जमा कराने को कहा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वाड्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने अदालत के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को निशाना बनाया जा रहा है और राजनीतिक बदले की भावना के तहत उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से अदालत में पेश हुए विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह और अधिवक्ता नीतेश राणा ने वाड्रा की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया और दावा किया कि 2009 में एक पेट्रोलियम सौदे में उन्होंने रिश्वत ली थी.

जांच एजेंसी को लंदन में कई नयी संपत्तियों की जानकारी मिली है जिसके मालिक वाड्रा हैं. इसमें दो घर, छह अन्य फ्लैट और अन्य संपत्ति शामिल है. दोनों घरों की कीमत 50 लाख और 40 लाख है.

तुलसी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वाड्रा कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं. उन्होंने इस मामले को कुछ नहीं सिर्फ राजनीतिक साजिश से ओत-प्रोत बताते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए.

वाड्रा की याचिका में कहा गया, वह सामाजिक रूप से सक्रिय है और जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं और उनकी फरार होने की संभावना नहीं है, वह कानून का पालन करने वाले शख्स हैं.

तुलसी ने अदालत के समक्ष कहा कि वाड्रा अमेरिका में अपनी बेटी की सर्जरी के संबंध में गए थे और वह मौजूदा समय में लंदन में अपनी बुजुर्ग मां के पास हैं. तुलसी ने कहा कि वाड्रा इससे पहले भी जांच से जुड़े हुए थे और वह अब दोबारा भी अदालत के निर्देश के अनुरूप ईडी की जांच में सहयोग देंगे.

ईडी ने कहा, हम चाहते हैं कि वह (वाड्रा) आएं और बताए कि क्या यह संपत्तियां उनकी हैं या किसी ओर की हैं. इसके बाद विशेष न्यायाधीश ने उन्हें (वाड्रा) को छह फरवरी की शाम को ईडी के समक्ष पेश होने को कहा.

वाड्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के अधिकृत प्रतिनिधि मनोज अरोड़ा ने इस मामले की जांच कर रहे ईडी को कई बार सहयोग दिया है. साथ ही जांच एजेंसी के अधिकारियों को संतुष्टि के लिए उन्हें संबंधित दस्तावेज़ भी उपलब्ध कराए गए हैं.

याचिका के अनुसार, ‘इस बात की गंभीर आशंका है कि जांच एजेंसियां उसे गिरफ़्तार कर सकती हैं. ऐसी परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका के माध्यम से यह भी प्रार्थना कर रहा है कि वह ईडी अधिकारियों के साथ जांच में शामिल होने के लिए तैयार है.’

अरोड़ा ने पहले अदालत में आरोप लगाया था कि राजग सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उन्हें इस मुक़दमे में फंसाया है.

हालांकि, ईडी ने इन आरोपों का ख़ारिज करते हुए कहा था, ‘क्या किसी भी अधिकारी को किसी भी राजनीतिक रूप से बड़े व्यक्ति की जांच नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसे राजनीतिक प्रतिशोध कहा जाएगा?’

जांच एजेंसी ने अदालत को बताया था कि भगोड़े हथियार व्यापारी संजय भंडारी के ख़िलाफ़ आयकर विभाग काला धन अधिनियम एवं कर कानून के तहत जांच कर रहा है. इसी दौरान मनोज अरोड़ा की भूमिका सामने आयी और इसके आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज किया गया था.

यह आरोप लगाया गया था कि लंदन स्थित संपत्ति को 19 लाख पाउंड में संजय भंडारी ने ख़रीदा था और 2010 में इसे इतनी ही राशि में बेच दिया गया जबकि इसके नवीकरण पर लगभग 65,900 पाउंड खर्च किया गया था.

ईडी ने अदालत को बताया था, ‘यह इस तथ्य पर विश्वास दिलाता है कि भंडारी संपत्ति का वास्तविक मालिक नहीं था, बल्कि वाड्रा के पास इसका स्वामित्व था, जो इसके नवीकरण पर खर्च कर रहे थे.’

ईडी ने आरोप लगाया था कि अरोड़ा, वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के एक कर्मचारी हैं. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि अरोड़ा को वाड्रा की विदेश में अघोषित संपत्ति के बारे में पता था और वह धन की व्यवस्था करने में सहायक था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)