भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे ने कहा, मुझे कुछ हुआ तो लोग प्रधानमंत्री को ज़िम्मेदार मानेंगे

प्रधानमंत्री कार्यालय के रुख के ख़िलाफ़ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन. लोकपाल की मांग को लेकर महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धी में बीती 30 जनवरी को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल शुरू की थी.

अन्ना हज़ारे (फोटो: पीटीआई)

प्रधानमंत्री कार्यालय के रुख के ख़िलाफ़ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन. लोकपाल की मांग को लेकर महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धी में बीती 30 जनवरी को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल शुरू की थी.

अन्ना हज़ारे (फोटो: पीटीआई)
अन्ना हज़ारे (फोटो: पीटीआई)

अहमदनगर/महाराष्ट्र: लोकपाल की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि अगर उनको कुछ होता है, तो लोग उसका जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मानेंगे. लोकपाल एवं राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति समेत अन्य मांगों को लेकर अन्ना हजारे का अहमदनगर जिले के रालेगन सिद्धि में भूख हड़ताल का रविवार को पांचवा दिन है.

महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धी में बीती 30 जनवरी को अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल शुरू की थी.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए 81 वर्षीय अन्ना हजारे का कहना है, ‘मुझे लोग हमेशा स्थितियों से लड़ने वाले के रूप में याद करेंगे और मैंने कभी भी आग में घी डालने का काम नहीं किया है. मुझे कुछ होता है, तो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराएंगे.’

अन्ना का कहना है कि लोकपाल के अंतर्गत अगर लोग सबूत दें, तो प्रधानमंत्री की भी जांच हो सकती है, उसी प्रकार लोकायुक्त राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों की जांच कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए ये लोग लोकपाल और लोकायुक्त नहीं चाहते हैं. कोई भी पार्टी ऐसा नहीं चाहती है, जबकि लोकसभा ने 2013 में यह बिल पास किया था.

भूख हड़ताल शुरू करते हुए अन्ना ने कहा था कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तब सरकार सत्ता में आने से पहले किए गए अपने वादों जैसे लोकायुक्त क़ानून बनाने, लोकपाल नियुक्त किए जाने तथा किसानों के मुद्दे सुलझाने को पूरा नहीं कर देती.

मालूम हो कि साल 2011-12 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान पर तत्कालीन संप्रग सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा आंदोलन हुआ था.

पीएमओ के रुख के ख़िलाफ़ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के समर्थकों ने शनिवार को दावा किया कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से एक पत्र मिला है जिसमें गांधीवादी नेता के प्रति ‘रुखा रवैया’ झलकता है.

अन्ना हजारे के प्रवक्ता श्याम असावा ने बीते शनिवार को बताया कि पीएमओ से ‘रुखी’ प्रतिक्रिया मिलने पर पश्चिमी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में उनके रालेगण सिद्धि गांव में विरोध प्रदर्शन में इज़ाफ़ा हुआ.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी 81 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा पिछले महीने भेजे गए पत्र पर प्रधानमंत्री के उत्तर में ‘रुखा रवैया’ झलकने के कारण ग्रामीण गुस्से में हैं.

असावा ने बताया कि महिलाओं सहित कुछ प्रदर्शनकारी गांव में एक टावर के ऊपर चढ़ गये और सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की जबकि कुछ ग्रामीणों ने पारनेर-वाडेगवहान मार्ग पर यातायात बाधित किया.

उन्होंने बताया कि पुलिस ने महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.

पीएमओ द्वारा कथित रूप से भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘आपका पत्र मिला, धन्यवाद और शुभकामनाएं.’ असावा ने कुछ संवाददाताओं को यह पत्र दिखाया.

एक जनवरी 2019 को पीएमओ को भेजे पत्र में हजारे ने केंद्र और महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार विरोधी क्रमश: लोकपाल एवं लोकायुक्त की तत्काल नियुक्ति की मांग की थी. उन्होंने किसानों के मुद्दों के समाधान की भी मांग थी.

इस बीच, हजारे के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे डॉक्टर धनंजय पोटे ने बताया कि शनिवार को उनके उपवास के चौथे दिन उनका वजन 3.4 किलोग्राम कम हो गया है. उन्होंने बताया, ‘उनका रक्तचाप भी बढ़ गया है.’

उन्होंने कहा कि हजारे को न्यूनतम बातचीत करने की सलाह दी गई है.