मोदी सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया तो अपना पद्मभूषण लौटा दूंगा: अन्ना हजारे

महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने पैतृक गांव रालेगण सिद्धि में बीते 30 जनवरी से सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे भूख हड़ताल पर बैठे हैं. 1992 में उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मवि​भूषण मिला था.

अन्ना हजारे. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने पैतृक गांव रालेगण सिद्धि में बीते 30 जनवरी से सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे भूख हड़ताल पर बैठे हैं. 1992 में उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मविभूषण मिला था.

New Delhi: Social activist Anna Hazare during his indefinite hunger strike in New Delhi on Saturday. PTI Photo by Ravi Choudhary (PTI3_24_2018_000060B)
अन्ना हज़ारे (फोटो: पीटीआई)

रालेगण सिद्धि/महाराष्ट्र: लोकपाल की मांग को बीते 30 जनवरी से भूख हड़ताल पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आगाह किया है कि अगर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए तो वह अपना पद्मभूषण सम्मान लौटा देंगे.

हजारे ने केंद्र में लोकपाल और महाराष्ट्र में लोकायुक्त की तत्काल नियुक्ति और किसानों के मुद्दों के समाधान के लिए बीते 30 जनवरी से अहमदनगर जिले में स्थित अपने पैतृक गांव रालेगण सिद्धि में अनशन शुरू किया है.

अन्ना हजारे ने बीते रविवार को कहा, ‘मोदी सरकार ने लोगों के विश्वास को तोड़ा है. अगर यह सरकार अगले कुछ दिनों में देश से किए अपने वादों को पूरा नहीं करती है तो मैं अपना पद्मभूषण लौटा दूंगा.’

81 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को 1992 में तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया गया था. हजारे केंद्र में भ्रष्टाचार विरोधी निकाय लोकपाल और राज्य में लोकायुक्तों की नियुक्ति के अलावा किसानों की परेशानियों को हल करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और चुनाव सुधार की मांग कर रहे हैं.

बीते रविवार को अन्ना हजारे ने कहा था, ‘मुझे लोग हमेशा स्थितियों से लड़ने वाले के रूप में याद करेंगे और मैंने कभी भी आग में घी डालने का काम नहीं किया है. मुझे कुछ होता है, तो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराएंगे.’

इस बीच भाजपा की सहयोगी शिवसेना अन्ना के समर्थन में आगे आई और उनसे आग्रह किया कि वह समाजवादी कार्यकर्ता जयप्रकाश नारायण की तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करें.

अन्ना का कहना है कि लोकपाल के अंतर्गत अगर लोग सबूत दें, तो प्रधानमंत्री की भी जांच हो सकती है, उसी प्रकार लोकायुक्त राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों की जांच कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए ये लोग लोकपाल और लोकायुक्त नहीं चाहते हैं. कोई भी पार्टी ऐसा नहीं चाहती है, जबकि लोकसभा ने 2013 में यह बिल पास किया था.

मालूम हो कि साल 2011-12 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान पर तत्कालीन संप्रग सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा आंदोलन हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)