जम्मू में खानाबदोशों पर पुलिस की मौजूदगी में बर्बर ​हमले का कथित वीडियो सामने आया

जम्मू में गोरक्षा के नाम पर खानाबदोश लोगों पर हमले का कथित वीडियो सामने आया है. भीड़ नारा लगाते हुए लोगों को बर्बरतापूर्वक पीटते देखी जा सकती है.

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जम्मू कश्मीर में गोरक्षा के नाम पर खानाबदोश लोगों पर हमले का कथित वीडियो सामने आया है. वीडियो में भीड़ जय श्री राम का नारा लगाते हुए पुलिस की मौजूदगी में लोगों को बर्बरतापूर्वक पीटती और तोड़ फोड़ करती देखी जा सकती है.

Cow Vigilante Jammu 1

मामला जम्मू के नज़दीक स्थित रियासी का बताया जा रहा है. वीडियो में नज़र आ रहा है कि गोरक्षा के नाम पर कथित गोरक्षकों की भीड़ जय श्रीराम और भारत माता की जय का नारा लगाते हुए एक तंबू को तोड़ने में लगी हुई हैं, जिसके अंदर कुछ महिलाएं नज़र आ रही हैं.

ये महिलाएं भीड़ से रहम की गुहार लगा रही है. वीडियो में पुलिस भी नज़र आ रही है. पुलिस भीड़ को रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसका उपद्रवियों की संख्या इतनी ज़्यादा थी कि उन्हें रोक पाना मुश्किल था. (सोशल मीडिया पर चल रहे इस वीडियो की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि द वायर नहीं करता.)

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला बीते गुरुवार शाम का है. जिस परिवार पर भीड़ ने हमला किया वह खानाबदोशों का परिवार था.

इस हमले में आठ साल की एक बच्ची भी घायल हो गई. फिलहाल पुलिस ने पांच आरोपियों की पहचान कर मामला दर्ज कर लिया है. अब तक इस मामले में 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

रियासी के एसएसपी ताहिर भट ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि खानाबदोश परिवार के दो सदस्यों की पिटाई के मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन लोगों की गुरुवार को बिना इजाज़त जानवरों को ले जाते वक़्त पिटाई कर दी गई थी.

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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुलिस ने जिन 11 लोगों को गिरफ्तार किया है उनकी पहचान बलबीर सिंह, ओंकार, सुजीवन सिंह, सतपाल, जगदेव सिंह, लाल सिंह, सुनील सिंह, राकेश कुमार, शंकर सिंह, भगवान दास और सुरिंदर सिंह के रूप में की है. इन सबकी उम्र 18 साल से लेकर 50 साल के बीच है. हमलावरों को कथित तौर पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का बताया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घायलों की पहचान बकरवाल समुदाय के खानाबदोश नज़ाकत अली (45), उनकी पत्नी नसीमा (40), चाचा सबर अली (60), रिश्तेदार आबिदा बीबी (22) और आठ साल की साइना के रूप में हुई है.

रिपोर्ट के अनुसार, खानाबदोश परिवार के चार सदस्यों के ख़िलाफ़ भी ज़िला मजिस्ट्रेट की इजाज़त के बग़ैर जानवरों को रियासी से किश्तवाड़ ले जाने के आरोप में केस दर्ज किया गया है.

हालांकि एडिशनल डिप्टी कमिश्नर बाबू राम ने इस बात की पुष्टि की है कि बकरवाल समुदाय के खानाबदोशों राज्य में कहीं अपने जानवरों मवेशी को पैदल ले जा रहे हैं तो उन्हें ऐसी किसी अनुमति की ज़रूरत नहीं पड़ती.

उन्होंने बताया कि अनुमति की ज़रूरत तब पड़ती है जब वे अपने मवेशियों को किसी वाहन से ले जाते हैं. जानवरों को पैदल ले जाने के लिए सिर्फ वन विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि महिलाओं और बच्चों के साथ तीन परिवार रियासी के अपने जानवरों के साथ पैदल किश्तवाड़ ज़िले के वारवान में उंचाई पर स्थित इनशान नाम के कस्बे जा रहे थे.

उनके पास गाय और बछड़े समेत कुल 16 जानवर थे. बीते गुरुवार को शाम छह बजे ये परिवार तलवाड़ा के जीरो मोड़ पहुंचा था, जहां पुलिस ने उन्हें रोका था.

पुलिस के मुताबिक, परिवार के पास रियासी के वन अधिकारी की ओर से जारी किया गया पेपर था. पेपर में इनशान तक उनकी यात्रा का विवरण था.

एसपी ने उनसे जानवरों लाने ले जाने के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट की अनुमति का कागज़ मांगा था. अभी पुलिस जांच कर ही रही थी कि कथित गोरक्षकों की भीड़ ने स्थानीय लोगों के साथ हमला बोल दिया.

बता दें कि जम्मू कश्मीर में बकरवाल समुदाय के खानाबदोश हर साल गर्मी के दिनों में अपने जानवरों के साथ मैदानी इलाकों को छोड़कर पहाड़ों पर चले जाते हैं और फिर जाड़े के मौसम में वापस मैदानी इलाकों में लौट आते हैं.