आनंद तेलतुम्बड़े के समर्थन में आए 600 शिक्षाविद, कहा- बंद की जाएं सभी क़ानूनी कार्रवाई

सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े पर भीमा कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से कथित जुड़ाव के आरोपों को अमेरिका और यूरोप के अग्रणी शिक्षाविदों ने क़ानून का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर गंभीर हमला है और इसके तुरंत समाधान की ज़रूरत है.

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सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो साभार: ट्विटर)

सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े पर भीमा कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से कथित जुड़ाव के आरोपों को अमेरिका और यूरोप के अग्रणी शिक्षाविदों ने क़ानून का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर गंभीर हमला है और इसके तुरंत समाधान की ज़रूरत है.

सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो साभार: ट्विटर)
सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्लीः सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद आनंद तेलतुम्बड़े के समर्थन में अमेरिका और यूरोप के शिक्षाविदों समेत 600 शिक्षाविदों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें भारत और महाराष्ट्र सरकार से तेलतुम्बड़े के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयों को तुरंत बंद करने का आग्रह किया गया है.

प्रिंस्टन, हार्वर्ड, कोलंबिया, येल, स्टैनफोर्ड, बर्कले, यूसीएलए, शिकागो, पेन, कॉर्नेल, एमआईटी, ऑक्सफोर्ड और लंदन स्कूल ऑफ कॉमर्स सहित उत्तरी अमेरिका, यूरोप के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों ने आनंद तेलतुम्बड़े के समर्थन में एक बयान पर हस्ताक्षर किए.

अमेरिका और यूरोप के अग्रणी शिक्षाविदों ने इस बयान पर हस्ताक्षर करते हुए कानून का दुरुपयोग कर तेलतुम्बड़े को प्रताड़ित करने पर आपत्ति जताई.

संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में येल की एलिजाबेथ वुड्स, हार्वर्ड के कॉर्नेल वेस्ट और डोरिस समर, यूसीएलए के रॉबिन केली और एरिक शेफर्ड, एमआईटी से मरिगांका सूर और सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क से सिंडी कैट्ज शामिल हैं.

इस याचिका को शुरू करने वाले उत्तरी अमेरिका के मानवाधिकारी संगठन ‘इंडिया सिविल वॉच’ के प्रवक्ता प्रोफेसर राजा स्वामी ने कहा, ‘बीते 72 घंटों में इस याचिका पर 600 लोगों के हस्ताक्षरों की बाढ़-सी आ गई.’

इस बयान में हस्ताक्षरकर्ताओं ने तेलतुम्बड़े के खिलाफ झूठे आरोपों का विरोध किया.

गौरतलब है कि एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने के लिए तेलतुम्बड़े और अन्य 10 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों पर नक्सलियों से संबंध होने का आरोप लगा है.

हस्ताक्षरकर्ताओं ने बयान में कहा, ‘भारत के अग्रणी और लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों में से एक के खिलाफ इस तरह के खतरनाक आरोप लोकतंत्र पर गंभीर हमला है और इसके तुरंत समाधान की जरूरत है.’

बयान में कहा गया कि तेलतुम्बड़े की लेखनी का लोकतंत्र, वैश्विकरण और सामाजिक न्याय जैसे विषयों में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने मांग की कि तेलतुम्बड़े की गिरफ्तारी की सभी गतिविधियों को तुरंत रोका जाए.

शिक्षाविदों ने तेलतुम्बड़े के प्रति एकजुटता दिखाते हुए भारत और महाराष्ट्र सरकार से विवेक के साथ काम करने और तेलतुम्बड़े पर लगे सभी आरोपों को हटाने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और केंद्र सरकार ने तेलतुम्बड़े के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाए हैं और उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार करने की धमकी दी है.

इन शिक्षाविदों का यह पत्र नीचे पढ़ा जा सकता है.

Anand Teltumbde petition by on Scribd

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)