याचिका में आरोप लगाया है कि मायावती, जो उस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, का महिमामंडन करने के इरादे से मूर्तियों के निर्माण पर 2007-12 के दौरान सरकारी ख़जाने से करोड़ों रुपये ख़र्च किए गए हैं.
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नई दिल्ली/लखनऊ: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे ऐसा लगता है कि बसपा प्रमुख मायावती को लखनऊ और नोएडा में अपनी और बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर ख़र्च किया गया सारा सरकारी धन लौटाना होगा.
मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा में पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगवाई थीं.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
अधिवक्ता रविकांत ने 2009 में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता.
पीठ ने कहा, ‘हमारा ऐसा विचार है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर ख़र्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी ख़जाने में वापस जमा करना होगा.’
हालांकि, पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक़्त लगेगा, इसलिए इसे अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पर्यावरण को लेकर व्यक्त की गई चिंता को देखते हुए इस मामले में अनेक अंतरिम आदेश और निर्देश दिए थे.
यही नहीं, निर्वाचन आयोग को भी निर्देश दिए गए थे कि चुनाव के दौरान इन हाथियों को ढंका जाए.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मायावती, जो उस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, का महिमामंडन करने के इरादे से इन मूर्तियों के निर्माण पर 2007-12 के दौरान सरकारी ख़जाने से करोड़ों रुपये ख़र्च किए गए हैं.
मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2007 से 2012 के दौरान बसपा के संस्थापक कांशीराम और बसपा के चुनाव चिह्न हाथी सहित कई स्मारकों का निर्माण कराया था, उस समय मायावती राज्य की मुख्यमंत्री थीं. ये स्मारक और प्रतिमाएं 2,600 करोड़ रुपये की लागत से लखनऊ, नोएडा और राज्य के अन्य स्थानों पर बनाई गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, सतर्कता विभाग की शिकायत में इसे कथित तौर पर स्मारक घोटाला बताते हुए कहा गया था कि इन प्रतिमाओं के निर्माण से लगभग 111 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए ईडी ने मामले की जांच के लिए धनशोधन निवारक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था.
न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे मायावती के वकील: अखिलेश
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा मुखिया मायावती और उनकी पार्टी बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगवाने के संबंध में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर शुक्रवार को कहा कि बसपा नेता के वकील अदालत में अपना पक्ष ज़रूर रखेंगे.
अखिलेश ने लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा है, अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. मैं समझता हूं कि बसपा नेता के वकील अपना पक्ष रखेंगे. यह कोई शुरुआती टिप्पणी हो सकती है मेरी जानकारी में अभी नहीं है.
अखिलेश से उच्चतम न्यायालय की शुक्रवार को की गई उस टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया था जिसमें उसने कहा है ‘हमारा ऐसा विचार है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा.’
वर्ष 2012 में अपने शासनकाल में मायावती की क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलवाने के एक सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा, ‘हमें उन्हें सम्मान देना था, इसीलिए दूसरी मूर्ति लगवायी थी. यह क्या बात हुई. सम्मान देना समाजवादियों का काम है. समाजवादी इसी रास्ते पर चलेंगे.’
उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा कि सपा-बसपा का गठबंधन जनता का गठबंधन है. एक-दूसरे के सम्मान का गठबंधन है, इसलिए यह चलेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)