रफाल पर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न्यायपालिका की विश्वसनीयता कम हुई: अरुण शौरी

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने कहा है कि वे राफेल मामले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे.

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अरुण शौरी. (फोटो: पीटीआई)

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने कहा है कि वे रफाल मामले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे.

अरुण शौरी. (फोटो: पीटीआई)
अरुण शौरी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रफाल की याचिका पर जो फैसला सुनाया है, वह देश की न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कम करने जैसा है. शौरी उन याचिकाकर्ताओं में से हैं, जिन्होंने रफाल डील की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा था कि क्या रफाल मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर उन्हें कोई पछतावा है? इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘मुझे कोई पछतावा नहीं है. वास्तव में फैसले से न्यायपालिका की विश्वसनीयता कम हो गई. सरकार की ओर से दी गई रिपोर्ट के आधार पर ही फैसला सुना दिया गया. इसलिए हमने अपनी बात को साबित किया है.’

शौरी का कहना है कि वो रफाल मामले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे.

शौरी ने अफसोस जताते हुए कहा कि देश में कुछ ही समाचार पत्र और समाचार चैनल बचे हैं जो सच में पत्रकारिता कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘इस वक़्त पत्रकारिता केवल दो पक्षों का राय लेने भर तक सीमित हो गई है. तथ्यों को पढ़ने और ढूंढने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है, रफाल मामले की तरह. आपको बस इतना करना चाहिए कि इंटरनेट पर जाएं और सच्चाई जानने के लिए रक्षा ख़रीद नीति और ऑफ सेट नीति पढ़ें. लेकिन ऐसा भी नहीं किया जा रहा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पत्रकारों का कर्तव्य है कि वे सत्ता और लोगों से भी सच बोलें. मुंह में हड्डी रखने वाला कुत्ता भौंक नहीं सकता. सवाल यह नहीं है कि मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) क्या करते हैं. सवाल यह है कि आप क्या करते हैं. शासक हमेशा यही चाहेंगे कि आप उन पर विश्वास करें, न कि अपने आप पर. इसलिए केवल आपकी प्रामाणिकता ही आपको विश्वसनीयता प्रदान करेगी.’

शौरी कहते हैं, ‘पहले रामनाथ गोयनका जैसे लोग अपना अखबार चलाने के लिए रियल स्टेट के व्यवसाय में उतर गए थे, लेकिन आज के लोग अपना व्यवसाय चलाने के लिए अखबार चलाते हैं. समस्या यह है कि पत्रकार अब धनवान बन चुके हैं.’