अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव का बचाव किए जाने पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि पिछले 20 सालों में मैंने अवमानना के अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया और किसी को भी सज़ा नहीं दी. लेकिन यह तो हद है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव को बिहार के मुजफ़्फ़रपुर बालिका गृह मामले की जांच करने वाले अधिकारी एके शर्मा का तबादला करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है. अदालत ने उन्हें कोर्ट की कार्यवाई पूरी होने तक कोर्ट में एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई है. इसके अलावा उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
Chief Justice of India Ranjan Gogoi says 'for contempt of court we impose a fine of Rs 1 lakh and direct him(former CBI interim director M Nageshwar Rao) to sit in one corner of the court till the court rises for the day' #MuzaffarpurShelterHome https://t.co/Xzr7kcBYd8
— ANI (@ANI) February 12, 2019
लाइव लॉ के अनुसार, तबादला आदेश के मामले में कानूनी सलाह देने वाले सीबीआई अभियोग के प्रभारी निदेशक एस. भासु राम को भी अदालत ने अवमानना का दोषी पाया और उन्हें भी वही सजा सुनाई.
राव की ओर से पेश होते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से नरमी बरतने का अनुरोध करते हुए कहा कि राव ने यह गलती जानबूझकर नहीं की है.
Attorney General KK Venugopal appearing for CBI accepts in SC that it was a series of mistakes. They have unconditionally apologised and they have not done at this wilfully, AG told the Supreme Court #MuzaffarpurShelterHome https://t.co/W8lFpeWVnn
— ANI (@ANI) February 12, 2019
इस पर चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, ‘अदालत के खर्च पर एक दोषी का बचाव क्यों किया जा रहा है. राव ने जो कार्रवाई की है वह साफ तौर पर अवमानना है और इसलिए वह किसी दया के पात्र नहीं हैं.’
सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर राव द्वारा जारी किए गए तबादला आदेश पर चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, ‘अगर उच्चतम न्यायालय को विश्वास में लेने के बाद आदेश पारित किए जाते तो क्या आसमान गिर जाता.’
राव की कार्रवाई पर गहरा दुख जताते हुए चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘पिछले 20 सालों में मैंने अवमानना के अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया और किसी को भी सजा नहीं दी. लेकिन यह तो हद है.’
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कार्रवाई करने से राव के करियर का रिकॉर्ड खराब हो जाएगा. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर हम उनका माफीनामा स्वीकार कर लेते हैं तब भी उनका करियर रिकॉर्ड दागदार ही रहेगा क्योंकि उन्होंने खुद अवमानना करने की बात स्वीकार कर ली है.’
CJI Ranjan Gogoi says 'Contempt has been committed. So there will be a mark on his( former interim CBI Director M Nageshwar Rao) career' AG KK Venugopal says 'He has an unblemished track record of 32 years. Please kindly adopt merciful approach as he has tendered apologies' https://t.co/8BlUcL1mxY
— ANI (@ANI) February 12, 2019
इससे पहले सोमवार को सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव ने स्वीकार किया था कि उन्होंने गलती की और इसके लिए उन्होंने माफी मांगते हुए कहा था कि उनकी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने की कोई मंशा नहीं थी.
राव ने सात फरवरी को उन्हें जारी किए गए अवमानना नोटिस के जवाब में हलफनामा दायर करते हुए कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट से बिना किसी शर्त के माफी मांग रहे हैं.
राव ने अपने माफीनामे में कहा, ‘मैं अपनी गलती महसूस करता हूं और मैं बिना किसी शर्त के माफी मांगता हूं. मैं विशेष तौर पर कहना चाहता हूं कि मैंने जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि मैं सपने में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने की नहीं सोच सकता.’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश का उल्लंघन करने के लिए सीबीआई अधिकारी शर्मा का सीबीआई से बाहर तबादला करने के लिए सात फरवरी को सीबीआई को फटकार लगाई थी और राव को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के समक्ष पेश होने को कहा था.
एके शर्मा बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के बालिका आश्रय गृह मामले की जांच कर रहे थे.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा था कि सीबीआई से बाहर शर्मा का तबादला करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है और यह अवमानना का मामला है.
पीठ ने सीबीआई के मौजूदा निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला से इस तबादले से अन्य अधिकारियों के जुड़े होने की जांच करने और 11 फरवरी तक जवाब देने का कहा था.
चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा था, ‘हम इसे बहुत ही गंभीरता से लेने जा रहे हैं. आपने देश के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ खिलवाड़ किया है. भगवान आपकी मदद करे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कभी खिलवाड़ मत कीजिए.’