भारत में मुझे कई बार नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा: मिज़ोरम मुख्यमंत्री

पांचवीं बार मिज़ोरम के मुख्यमंत्री बने लल थनहवला का कहना है कि यह सिर्फ आम लोगों की बात नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे राजनेता सभी पार्टियों में है जिन्हें भारतीयता की समझ नहीं है.

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पांचवीं बार मिज़ोरम के मुख्यमंत्री बने लाल थनहवला का कहना है कि यह सिर्फ आम लोगों की बात नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे राजनेता सभी पार्टियों में है जिन्हें भारतीयता की समझ नहीं है.

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मिजोरम के मुख्यमंत्री लाल थनहवला (फोटो क्रेडिट: http://cmmizoram.nic.in/ )

भारत के बड़े शहरों में पूर्वोत्तर के लोगों को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता है. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लाल थनहवला का कहना है कि उन्हें अपने देश में कई बार यह भेदभाव झेलना पड़ा है.

समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में 74 वर्षीय लाल थनहवला ने कहा, ‘नस्लीय भेदभाव इस देश की सबसे खराब चीज है. मैंने खुद इसका कई बार सामना किया है. ये मूर्ख लोग हैं जिन्हें अपने देश के बारे में नहीं पता होता है.’

उन्होंने कहा, ‘20-25 साल पहले एक स्वागत समारोह में एक व्यक्ति ने मुझे कहा कि आप भारतीयों की तरह नहीं दिखते हैं. उसके जवाब में मैंने पूछा कि एक वाक्य में आप बताएं भारतीय कैसे दिखते हैं?’

पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने लाल थनहवला का कहना है कि यह सिर्फ आम लोगों की बात नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे राजनेता सभी पार्टियों में है जिनके पास भारत का मूल विचार नहीं है.

वे कहते हैं, ‘आप भाजपा, कांग्रेस या किसी भी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं अगर अपने देश को नहीं जानते हैं तो आप नेता कैसे हैं? इन पार्टियों के बहुत सारे नेता अपने देश के बारे में नहीं जानते हैं, जो कि बहुत मूर्खतापूर्ण है. यह शिक्षा और देशभक्ति की कमी के बारे में बताता है. इससे उनकी मानसिकता पता चलती है.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लाल थनहवला ने कहा, ‘उन्हें नहीं पता कि भारत में तीन प्रमुख नस्लों (रेस) के लोग हैं. हाल ही में मध्यप्रदेश के किसी नेता ने कहा कि द्रविड़ (दक्षिण भारत) के लोग काले होते हैं. उन्हें नहीं पता कि उत्तर भारत में आर्य और पूर्वात्तर भारत में मंगोल रहते हैं. इसके अलावा, हमारे देश में कई आदिवासी जनजातियां हैं.’

वे आगे कहते हैं, ‘यही कारण है कि उत्तर-पूर्व में क्षेत्रीयवाद बहुत अधिक है. अलगाववाद बहुत अधिक है क्योंकि हमें उत्तर-पूर्व के बाहर स्वीकार नहीं किया जाता है. ऐसा है क्योंकि तथाकथित भारतीय लोग हमारे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं.’