अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के आदेश से छेड़छाड़ का आरोप, दो कर्मचारी बर्ख़ास्त

आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के सहायक रजिस्ट्रार मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती ने अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए न्यायिक आदेश को बदल दिया था ताकि ऐसा लगे कि एरिक्सन द्वारा अंबानी के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका में उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होना था.

अनिल अंबानी (फोटो: रॉयटर्स)

आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के सहायक रजिस्ट्रार मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती ने अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए न्यायिक आदेश को बदल दिया था ताकि ऐसा लगे कि एरिक्सन द्वारा अंबानी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका में उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होना था.

अनिल अंबानी (फोटो: रॉयटर्स)
अनिल अंबानी (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अनिल अंबानी-एरिक्सन मामले में अदालत के आदेश के साथ कथित छेड़छाड़ करने के लिए अदालत के दो अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया.

टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा कि मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती ने अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए न्यायिक आदेश को बदल दिया था ताकि ऐसा लगे कि टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन द्वारा अंबानी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका में उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होना था.

शर्मा और चक्रवर्ती ने सहायक रजिस्ट्रार के पद थे. संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत अदालत की असाधारण शक्तियों का उपयोग करते हुए दोनों को बर्खास्त कर दिया गया और बर्खास्तगी आदेशों पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.

बीते सात जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में कहा गया था कि ‘कथित अवमानना करने वाले की व्यक्तिगत उपस्थिति को खारिज कर दिया गया है’. हालाकि, यह आदेश उस दिन अदालत में जो कहा गया था, उसके विपरीत था.

अदालत में कहा गया था कि अंबानी को इस मामले में उपस्थित होना चाहिए, जैसा कि अदालत के अवमानना अधिनियम द्वारा आवश्यक है. इसके बाद 10 जनवरी को, एक संशोधित आदेश अपलोड किया गया जिसमें शब्द ‘नहीं’ जोड़ा गया.

नए आदेश में लिखा गया, ‘कथित अवमानना करने वाले की व्यक्तिगत उपस्थिति को खारिज नहीं किया गया है.’ टेलिग्राफ ने लिखा है कि एरिक्सन के वकील द्वारा गलती के बारे में बताने के बाद आदेश को संशोधित किया गया था.

अदालत के सूत्रों ने टेलीग्राफ को बताया कि यह एक गलती के बजाय एक जानबूझकर किया गया कार्य प्रतीत होता है. संशोधित आदेश अपलोड होने के बाद, अंबानी 12 जनवरी और 13 जनवरी को अदालत में पेश हुए. अदालत ने बुधवार को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.