मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार बनते ही किया था हमले की जांच के लिए एसआईटी का गठन. एनआईए के इनकार पर बोले- यह दिखाता है कि भाजपा सरकार ने कुछ छिपाया है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच छत्तीसगढ़ सरकार को सौंपने से इनकार कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जांच एजेंसी ने कहा है कि एनआईए मामले की जांच कर रही है, ऐसे में वह जांच सरकार को नहीं सौंप सकती.
छ्त्तीसगढ़ में सरकार बनाने के एक दिन बाद कांग्रेस ने इस हमले की एसआईटी जांच करने का ऐलान किया था.
2013 में हुए इस हमले में 31 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ला, महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल और उदय मुदलियार सहित पार्टी के 25 नेता शामिल थे.
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को 8 फरवरी को लिखे पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि एनआईए के साथ मिलकर मामले की जांच की गई और एजेंसी ने 25 सितंबर 2014 को नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. साथ ही 28 मई 2015 को पूरक चार्जशीट दायर की थी.
इस पत्र में आगे कहा गया कि एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष 91 चश्मदीदों की गवाही हुई थी. इसलिए कार्यवाही के दौरान इस मामले को दोबारा राज्य सरकार को सौंपना उचित नहीं होगा.
पत्र में यह भी जोड़ा गया है कि ‘अगर कोई नए तथ्य राज्य सरकार के संज्ञान में आते हैं, तो वह एनआईए अधिनियम 2008 के प्रावधान सात (ए) के तहत एनआईए के साथ जांच में सहयोग कर सकती है.’
ज्ञात हो कि भाजपा सरकार में झीरम घाटी हमले की एनआईए ने जांच की थी. एनआईए की विशेष अदालत में पेश की गई फाइनल रिपोर्ट में कहा गया था कि झीरम हमला सरकार को उखाड़ फेंकने की एक चाल थी. ये हमला दहशत फैलाने के लिए किया गया था.
हालांकि कांग्रेस पार्टी इसे एक योजनाबद्ध राजनीतिक षड्यंत्र कहती रही है. एनआईए ने इसे नक्सली हमला करार दिया था.
इसके अलावा छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा के नेतृत्व में न्यायिक आयोग बनाया था.जहां अभी भी मामले की सुनवाई जारी है.
एनआईए के इनकार के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते हुए कहा कि एनआईए का इनकार करना यह संकेत देता है कि भाजपा सरकार ने कुछ छिपाया है. कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश त्रिवेदी ने भी कहा कि एनआईए का इस तरह मना करना अत्यंत गंभीर मामला है.