अधिकारियों का कहना है कि यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है. आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है. इस हमले में लगभग 350 किलो विस्फोटक इस्तेमाल हुआ था.

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है.
पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों को श्रीनगर भेजा है, जो हमले वाली जगह से फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाएंगे.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हमले में शहीद हुए जवानों की संख्या बढ़कर 40 हुई है.
Latest visuals from the site of #PulwamaTerrorAttack in Jammu and Kashmir. 40 CRPF soldiers lost their lives in the terror attack yesterday. pic.twitter.com/mCQpNvOxTW
— ANI (@ANI) February 15, 2019
मालूम हो कि जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने गुरुवार को विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, थी.
अधिकारियों का कहना है कि यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है. उन्होंने बताया कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है. इस हमले में लगभग 350 किलो आईईडी का इस्तेमाल हुआ था.
एनडीटीवी इंडिया के मुताबिक, सीआरपीएफ जल्द ही पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की सूची जारी कर सकती है. जवानों के नाम जारी किए जाने में देरी की वजह कई शवों का क्षत-विक्षत होना है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी तक 37 जवानों के शहीद होने की बात कही जा रही है.
गौरतलब है कि केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएम) के 2500 से अधिक कर्मचारी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे. इनमें से अधिकतर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपने काम पर वापस लौट रहे थे. यह हमला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर घात लगाकर यह आत्मघाती हमला किया गया.
पुलिस ने इस आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद डार के तौर पर की है. उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था. हताहतों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है.
विस्फोट में कई लोग घायल हो गए. धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए और आसपास बिखरे क्षत-विक्षत शवों को देखा जा सकता है.
सीआरपीएफ के महानिदेशक आरआर भटनागर ने बताया, ‘यह एक विशाल काफिला था तथा करीब 2500 सुरक्षाकर्मी विभिन्न वाहनों में जा रहे थे. काफिले पर कुछ गोलियां भी चलाई गईं.’
भटनागर ने कहा कि घटनास्थल पर वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं. मामले की जांच की जा रही है. घायलों की देखरेख की जा रही है.
यह काफिला जम्मू से तड़के साढ़े तीन बजे चला था और माना जा रहा था कि इसे सूर्यास्त तक श्रीनगर पहुंचना था.
अधिकारियों ने बताया कि घाटी लौट रहे कर्मचारियों की संख्या अधिक थी क्योंकि राजमार्ग पर पिछले दो-तीन दिन से ख़राब मौसम और अन्य प्रशासनिक कारणों से कोई आवाजाही नहीं हो रही थी.
अधिकारियों ने बताया कि सड़क पर मार्ग को परखने के लिए एक दल को तैनात किया गया था और काफिले में आतंक निरोधक बख्तरबंद वाहन मौजूद थे.
फॉरेंसिक एवं बम विश्लेषक दल मौके पर पहुंच गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि हमले के केंद्र में रही बस बल की 76वीं बटालियन की थी और उसमें 39 कर्मचारी सवार थे. आम तौर पर काफिले में करीब 1000 कर्मचारी चलते हैं लेकिन इस बार कर्मचारियों की कुल संख्या 2547 थी.
कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (अभियान) ज़ुल्फ़ीकार हसन ने इसे वाहन से किया गया हमला क़रार दिया और कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने मामले की जांच अपने हाथ में ली है.