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अदालत ने बिहार के मुज़फ़्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए हैं.
असली ख़बर यह है कि इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दो सीनियर अधिकारी जिसमें समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और मुज़फ़्फ़रपुर के पूर्व ज़िला अधिकारी धर्मेंद्र प्रसाद के ख़िलाफ़ याचिका को सीबीआई के पास सूचनार्थ भेजा गया है.
बिहार के सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की ओर से कहा गया है कि मुज़फ़्फ़रपुर की विशेष (बाल यौन अपराध रोकथाम अधिनियम) पॉक्सो अदालत ने सीबीआई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य पर आश्रय गृह यौन कांड के आरोपी द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच का कोई आदेश नहीं दिया है.
राजद नेता तेजस्वी यादव को लिखे गए पत्र में जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा, ‘विशेष अदालत ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है. उसे सीबीआई को ऐसा कोई निर्देश देने का अधिकार भी नहीं है.’
यादव ने इस संबंध में अपने ट्विटर हैंडल पर खबर साझा की थी.
आरोपी सुधीर कुमार ओझा के वकील ने कहा कि वाकई पॉक्सो अदालत ने आरोपी अश्विनी के आवेदन पर ऐसा निर्देश दिया है. मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह से जुड़े पूर्व स्वयंभू डॉक्टर अश्विनी ने राज्य सरकार द्वारा इस आश्रय गृह को निरंतर धन देने के मद्देनज़र जांच की मांग की थी.
सिंह ने कहा कि यह एक नियमित प्रक्रिया है कि जब भी कोई आरोपी अदालत में कोई आवेदन देता है तो उसे विचारार्थ जांच एजेंसी के पास भेजा जाता है.
उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी यादव सुनी हुईं बातों के आधार पर बयान देते रहते हैं. यह महंगा साबित हो सकता है.’
वहीं जदयू नेता संजय सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस मामले में नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ जांच करने का कोई आदेश नहीं दिया गया है.
उन्होंने कहा, ‘विशेष अदालत के पास सीबीआई जांच का आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. ये महज़ अफ़वाहें हैं.’