उत्तराखंड: भीड़ द्वारा हमले के डर से कश्मीरी छात्रों ने खुद को कमरे में बंद किया

पुलवामा आतंकी हमले के बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने राज्य में कश्मीर के 12 छात्रों की पिटाई कर दी थी. इसके बाद से ही राज्य में कश्मीरी छात्रों के बीच डर का माहौल है. हालांकि पुलिस ऐसी किसी घटना से इनकार कर रही है.

2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बाद घटनास्थल पर तैनात सुरक्षाबल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पुलवामा आतंकी हमले के बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने राज्य में कश्मीर के 12 छात्रों की पिटाई कर दी थी. इसके बाद से ही राज्य में कश्मीरी छात्रों के बीच डर का माहौल है. हालांकि पुलिस ऐसी किसी घटना से इनकार कर रही है.

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पुलवामा में हुए आतंकी हमले में करीब 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे. (फोटो: पीटीआई)

देहरादून: उत्तराखंड में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) समेत हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों द्वारा कश्मीर के 12 छात्रों की पिटाई करने के एक दिन बाद बीते शनिवार को स्थिति और बिगड़ गई जब कश्मीरी छात्रों ने भीड़ से डरकर खुद को हॉस्टल और किराए पर लिए कमरों में खुद को बंद कर लिया.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए, देहरादून शहर में हिंदुत्व समूहों ने कथित तौर पर कश्मीरियों को देशद्रोही कहा और मांग की कि सभी कश्मीरी छात्र 24 घंटे के भीतर शहर छोड़ दें.

शनिवार की दोपहर, गुस्साई भीड़ द्वारा हॉस्टल को घेरने के बाद घाटी के 20 छात्राओं ने खुद को कमरे में बंद कर लिया. उनमें से एक 24 वर्षीय छात्रा, जो डॉल्फिन इंस्टीट्यूट में एमएससी जीव विज्ञान पढ़ रही हैं और कश्मीर की रहने वाली हैं, ने बताया, ‘हम 20 लड़कियां हैं और हमने अपने हॉस्टल के कमरों में खुद को बंद कर लिया है. सैकड़ों लोगों ने हमारे हॉस्टल को घेर लिया है. उनमें से कई के पास लाठियां और पत्थर हैं. हमने लाइट बंद कर दी है.’

नाम न लिखने की शर्त पर छात्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमने पुलिस से मदद मांगी और वे यहां आए, लेकिन वे हमें भीड़ का सामना करने और उनसे माफी मांगने के लिए कह रहे हैं. हमें किस बात के लिए माफी मांगनी चाहिए? वे हमें देशद्रोही कह रहे हैं, लेकिन हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है. हम दरवाजा नहीं खोल सकते. हम बहुत डरे हुए हैं. हमारी मदद करने वाला कोई नहीं है.’

इस समय 3,000 से अधिक कश्मीरी छात्र देहरादून के विभिन्न कॉलेजों और संस्थानों में पढ़ रहे हैं. बाबा फरीद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीएफआईटी), देवभूमि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (डीबीआईटी), डॉल्फिन इंस्टीट्यूट, अल्पाइन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी और रास बिहारी सुभारती विश्वविद्यालय देहरादून के पांच ऐसे प्रमुख संस्थान हैं जहां अधिकांश कश्मीरी छात्र पढ़ रहे हैं.

देहरादून पुलिस ने कश्मीरी छात्रों के खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना से इनकार किया. लेकिन पुलिस के सामने छात्रों की पिटाई का वीडियो शनिवार से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

कश्मीर के बारामूला के रहने वाले और बीएफआईटी में पढ़ाई कर रहे एक अन्य 23 वर्षीय छात्र ने बताया, ‘एक भीड़ ने शुक्रवार को बीएफआईटी के सामने दो कश्मीरी छात्रों की पिटाई की. बाद में, तीन लोग हमारे किराए के कमरे में पहुंचे, दरवाजा पीटा और हमें बाहर आने को कहा. उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हम कश्मीरी थे और बाद में 100 से अधिक लोगों के साथ वापस आए. वे बार बार नारे लगा रहे थे- ‘हिंदुस्तान के गद्दाराों को गोल मारो’. हम घर में फंसे हुए हैं. मकान मालिक हमें घर छोड़ने के लिए कह रहा है, लेकिन हम सड़क पर भी नहीं जा सकते हैं. भीड़ हर जगह है. हम बहुत डरे हुए हैं.’

उत्तराखंड के भाजपा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा, ‘हमें अभी तक कश्मीरी छात्रों की पिटाई या देहरादून छोड़ने की धमकी देने की कोई शिकायत नहीं मिली है. माहौल तनावपूर्ण है (हालिया आतंकी हमले के कारण), इसलिए कश्मीरी छात्रों को सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी टिप्पणी करने से बचना चाहिए. सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणियां जनता को उनके खिलाफ कर रही हैं.’

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने भी कहा कि छात्र मामले को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं. डीजी (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार ने कहा, ‘शुक्रवार से पुलिस को देहरादून के सभी संस्थानों के पास तैनात किया गया है जहां कश्मीरी छात्र पढ़ते हैं. छात्र सिर्फ बातों को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं. वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं. कोई भी छात्र जो किसी भी भीड़ से डरता है, सीधे पुलिस से संपर्क कर सकता है और हम हरसंभव मदद करेंगे.’