बिहार बालिका गृह: नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ जांच के आदेश की ख़बर झूठी निकली

बीते शनिवार को एक न्यूज़ एजेंसी द्वारा ख़बर प्रसारित की गई थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण मामले में सीबीआई को जांच का आदेश दिया गया है.

नीतीश कुमार (फाइल फोटो: पीटीआई)

बीते शनिवार को एक न्यूज़ एजेंसी द्वारा ख़बर प्रसारित की गई थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण मामले में सीबीआई को जांच का आदेश दिया गया है.

नीतीश कुमार (फाइल फोटो: पीटीआई)
नीतीश कुमार (फाइल फोटो: पीटीआई)

पटना: मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण मामले में सीबीआई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ जांच करने का आदेश देने की खबर झूठी साबित हुई है. दरअसल शनिवार को एक समाचार एजेंसी द्वारा यह खबर प्रसारित की गई थी, जिसके बाद कई मीडिया संस्थानों ने ये खबर चलाई थी.

इस खबर के प्रसारित होने के बाद से विपक्ष ने नीतीश कुमार पर हमला शुरू कर दिया और उनका इस्तीफा तक मांगा था. हालांकि, अब खबर आई है कि सीबीआई को नीतीश कुमार के खिलाफ जांच का कोई आदेश नहीं दिया गया है.

एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, असली ख़बर यह है कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दो सीनियर अधिकारी जिसमें समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और मुजफ्फरपुर के पूर्व जिला अधिकारी धर्मेंद्र प्रसाद के खिलाफ याचिका को सीबीआई के पास सूचनार्थ भेजा गया है.

वहीं जदयू नेता संजय सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ जांच करने का कोई आदेश नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘विशेष अदालत के पास सीबीआई जांच का आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. ये महज अफवाहें हैं.’

मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण मामले में गिरफ्तार डॉक्टर अश्विनी के वकील सुधीर कुमार ओझा ने कोर्ट में अर्जी दी थी कि सीबीआई तथ्यों को दबाने की कोशिश कर रही है.

ओझा द्वारा दायर अर्जी के अनुसार, मामले में मुजफ्फरपुर के तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए थी. डॉक्टर अश्विनी की अर्जी पर सुनवाई के बाद विशेष पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई के पास इसे सूचनार्थ कर दिया है.

ग़ौरतलब है कि डॉक्टर अश्विनी को मुज़फ़्फ़रपुर बालिका आश्रय गृह यौन शोषण मामले का खुलासा होने के बाद पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था. उन पर नाबालिग बच्चियों को नशीली दवा का इंजेक्शन देने के आरोप हैं.

बता दें कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में पिछले साल 31मई को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी.

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, इस बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो गई थी. बलात्कार की शिकार लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बलात्कार से पहले लड़कियों को नशीली दवाओं का इंजेक्शन देकर उन्हें बेहोश किया जाता था. इसके अलावा लड़कियों के इलाज के लिए बालिका गृह के ऊपर एक कमरा बना हुआ था.

मामला तब सामने आया जब साल 2018 के शुरू में मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित एक एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों से बलात्कार मामले में एनजीओ का ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है. 

इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों- किरण कुमारी, मंजू देवी, इंदू कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रौशन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

पिछले साल 31 मई को इन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सीबीआई ने सितंबर में जांच अपने हाथ में ले लिया थी.