देश में रोज़गार विहीन वृद्धि से युवाओं में असंतोष बढ़ाः मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में रोज़गार का सृजन होने के बजाय रोज़गार के नुकसान वाली स्थिति बन गई है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के क़र्ज़ बढ़ रहे हैं और शहरी अव्यवस्था से भविष्य की बेहतर आकांक्षा रखने वाले युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है.

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में रोज़गार का सृजन होने के बजाय रोज़गार के नुकसान वाली स्थिति बन गई है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के क़र्ज़ बढ़ रहे हैं और शहरी अव्यवस्था से भविष्य की बेहतर आकांक्षा रखने वाले युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है.

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार के असफल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में रोज़गार के सृजन के बजाय रोज़गार के नुकसान में वृद्धि की स्थिति बन गई है.

मनमोहन सिंह ने कहा कि ग्रामीण लोगों पर बढ़ता कर्ज और शहरी अव्यवस्था के चलते युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है.

उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘कृषि क्षेत्र का बढ़ता संकट, रोज़गार के कम होते अवसर, पर्यावरण में आती गिरावट और विभाजनकारी ताकतों के कार्यरत रहने से राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां खड़ी हो रही हैं.’

उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा आत्महत्या किया जाना और निरंतर होने वाले किसान आंदोलन से हमारी अर्थव्यवस्था में ढांचागत असंतुलन का पता चलता है। इस समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से विश्लेषण करने और राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.

सिंह ने कहा कि अब तक जो ‘जॉबलेस ग्रोथ’ था, वह अब और बिगड़कर ‘जॉबलॉस ग्रोथ’ बन गया है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के कर्जे बढ़ रहे हैं और शहरी अव्यवस्था से भविष्य की बेहतर आकांक्षा रखने वाले युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है.

उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में अतिरिक्त रोज़गार के अवसर पैदा करने के प्रयास असफल रहे हैं. औद्योगिक वृद्धि दर उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है जितनी बढ़नी चाहिए.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि संपत्ति और रोज़गार के अवसरों में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने वाले लघु एवं असंगठित क्षेत्र को नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भारी नुकसान हुआ.

मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हम तेजी से बदल रही दुनिया में रह रहे हैं. एक तरफ हम तेजी से दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ रहे हैं और वैश्विक बाजारों में पहुंच रहे हैं तो दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर हमारे समक्ष व्यापक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां खड़ी हैं.’

पूर्व प्रधानमंत्री ने मैनेजमेंट छात्रों से कहा कि वह ऐसे महत्वपूर्ण समय में कारोबारी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जब भारत के 2030 तक दुनिया के शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का अनुमान जताया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)