एक फरवरी को दुर्घटनाग्रस्त हुए मिराज-2000 विमान में स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई थी. एक याचिका में दुर्घटना की जांच के लिए शीर्ष अदालत की निगरानी में समिति बनाने की मांग की गई थी.
नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना के विमानों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एक फरवरी को बेंगलुरु में दुर्घटनाग्रस्त होने वाला मिराज-2000 एक पुराना विमान था और दुर्घटनाग्रस्त होने का इंतजार कर रहा था.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, मिराज-2000 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में न्यायिक जांच की मांग को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने याचिकाकर्ता अलख आलोक श्रीवास्तव से कहा, ‘हम 3 या 3.5 पीढ़ी के मिराज विमान का उपयोग कर रहे हैं. ये तो दुर्घटनाग्रस्त होंगे ही.’
जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना भी थे. सीजेआई ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपको पता है कि बेंगलुरु में जो लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ वह किस पीढ़ी का था. बता दें कि उस दुर्घटना में स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई थी.
सीजेआई के सवाल का वकील साफ-साफ जवाब नहीं दे पाए जिस पर जस्टिस गोगोई ने कहा कि अन्य देश अत्याधुनिक पीढ़ी के विमान का इस्तेमाल कर रहे हैं.
याचिका में दुर्घटना की जांच के लिए अदालत की निगरानी में एक समिति बनाने की मांग की गई थी जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज और एक रक्षा विशेषज्ञ को शामिल किया जाता.
अदालत ने कहा, ‘आखिरकार यह एक दुर्घटना थी.’ इसके बाद उसने जांच की मांग को खारिज कर दिया.
याचिका में मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया था जिसमें कहा गया था 2015-16 से भारतीय वायु सेना के 35 विमान और हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं और इनमें 45 जानें गई हैं.
बता दें कि मिराज विमान क्रैश में जान गंवाने वाले भारतीय वायुसेना के स्क्वॉड्रन लीडर समीर अबरोल के परिवार ने भी विमानों की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था. अबरोल के भाई सुशांत ने फेसबुक पर एक कविता पोस्ट की थी जिसमें लिखा था, ‘परीक्षण पायलट का काम बहुत जोखिम भरा होता है. नौकरशाही जहां मौज मस्ती करती है. हम अपने योद्धाओं को लड़ने के लिए देते हैं पुरानी मशीनें, इसके बावजूद वे अपना कार्य समस्त कौशल और पराक्रम से पूरा करते हैं.’
वहीं, केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया था जिसमें वे कहते हैं कि दोनों पायलटों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. इस पोस्ट को साझा करते हुए सुशांत ने सवाल उठाए थे.
उन्होंने लिखा था, ‘क्या हमारे परिवार को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जाएगी? क्या हम एक ऐसी पारदर्शी जांच देख पाएंगे जिसमें सरकार या नौकरशाही का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा? क्या रिपोर्ट को परिवार के साथ शेयर किया जाएगा? सरकार और व्यवस्था यह कैसे तय करेगी कि हम भविष्य में ऐसे किसी हादसे का गवाह नहीं बनेंगे?’
टाइम्स नाउ की ख़बर के मुताबिक, सीजेआई गोगोई ने इसी तरह की टिप्पणी रफाल सौदा मामले में दाखिल कई याचिकाओं को खारिज करते हुए की थी. उन्होंने मौजूदा बेड़े की स्थिति और इसे उन्नत करने के लिए तत्काल आवश्यकता को समझने के लिए भारतीय वायुसेना के अधिकारियों की सहायता ली थी.
वहीं रफाल मामले में दिए गए अपने फैसले में भी सीजेआई ने मौजूदा बेड़े को अपग्रेड करने और उसमें सुधार लाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा था, ‘एक ऐसे समय में वायु क्षेत्र में भारत बिना किसी तैयारी के नहीं रह सकता है जब उसके दुश्मनों ने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हासिल कर लिए हों.’