क्या चुनाव आयोग के पास पार्टियों को मिलने वाले धन और खर्च का खुलासा करने की शक्ति नहीं है: अदालत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि उसके पास राजनीतिक दलों द्वारा किए गए खर्च का खुलासा करने के लिए क्या शक्तियां या विकल्प हैं.

(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि उसके पास राजनीतिक दलों द्वारा किए गए खर्च का खुलासा करने के लिए क्या शक्तियां या विकल्प हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चुनाव आयोग से पूछा कि क्या उसके पास उन राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति नहीं है, जो उन्हें मिलने वाले धन और खर्च के विवरण का खुलासा करने के उसके निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को इस बात को सुनिश्चित करना है कि राजनीतिक दल उसके निर्देशों का पालन करें और पूछा, ‘क्या आपके पास मौजूदा कानून के तहत (कार्रवाई करने) की शक्ति नहीं है.’

आयोग ने अपने जवाब में पीठ से कहा कि वह लगातार उन राजनीतिक दलों को पत्र लिख रहा है, जिन्होंने अपने खर्च का खुलासा नहीं किया है.

अदालत ने कहा, ‘आपने उन्हें लिखा, लेकिन उन्होंने इसका पालन नहीं किया. अब आगे क्या. जब अनुपालन नहीं किया गया है, तो हमें बताएं कि आप क्या करना चाहते हैं. आपके पास क्या शक्तियां हैं. आपका जवाब आपकी तरफ से बेबसी का संकेत देती है.’

उसने चुनाव आयोग को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि उसके पास राजनीतिक दलों द्वारा किए गए खर्च का खुलासा करने के लिए उसके दिशा-निर्देशों को लागू किया जाना सुनिश्चित करने के लिए क्या शक्तियां या विकल्प हैं और अगर उन मानदंडों का उल्लंघन किया जाता है तो क्या कदम उठाए जा सकते हैं.

अदालत ने यह निर्देश एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. चुनाव आयोग ने अगस्त 2014 में ‘पार्टी कोष एवं चुनावी खर्च में पारदर्शिता और जवाबदेही’ पर दिशा-निर्देश जारी किया था.

द हिंदू की ख़बर के मुताबिक, एनजीओ ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि मौजूदा राजनीतिक सिस्टम को बहुत से गैरकानूनी तरीकों चंदा मिलता है. इसके साथ ही कॉरपोरेट एजेंसियां अपने निजी लाभ के लिए चंदा देती हैं. यही कारण है कि राजनीतिक प्रणाली विधि आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए इच्छुक नहीं लगती है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के लिए पेश होने वाले वरिष्ठ वकील अरविंद निगम और वकील अभिमन्यू श्रेष्ठ ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनाव आयोग के पास विधि आयोग की सिफारिशों को लागू करने की शक्ति है.’