झारखंड में अडाणी पावर की 14,000 करोड़ रुपये की सेज़ परियोजना को मंज़ूरी

अडाणी पावर को झारखंड के गोड्डा ज़िले में 222.68 हेक्टेयर भूमि क़ब्ज़े की औपचारिक मंज़ूरी मिली है. शेष 202.32 हेक्टेयर भूमि के लिए मंजूरी मिलनी बाकी है. विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थापित इकाइयों को सरकार कर लाभ सहित कई सुविधाएं देती है.

गौतम अडानी (फोटो: रॉयटर्स)

अडाणी पावर को झारखंड के गोड्डा ज़िले में 222.68 हेक्टेयर भूमि क़ब्ज़े की औपचारिक मंज़ूरी मिली है. शेष 202.32 हेक्टेयर भूमि के लिए मंजूरी मिलनी बाकी है. विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थापित इकाइयों को सरकार कर लाभ सहित कई सुविधाएं देती है.

गौतम अडानी (फोटो: रॉयटर्स)
अडाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार ने झारखंड में अडाणी पावर की 14,000 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) परियोजना को मंजूरी दे दी है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

इस परियोजना में बनने वाली पूरी बिजली बांग्लादेश को निर्यात की जाएगी. अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य सचिव की अध्यक्षता वाले मंजूरी बोर्ड ने इस परियोजना को स्वीकृति दी है.

यह मंजूरी बोर्ड सेज पर फैसला लेने वाला शीर्ष निकाय है. अडाणी पावर (झारखंड) लिमिटेड ने राज्य के गोड्डा जिले में 425 हेक्टेयर क्षेत्र में बिजली के लिए विशेष सेज स्थापित करने को मंजूरी देने की मांग की थी.

यह परियोजना मोतिया, माली, गाय घाट और निकटवर्ती गांवों में लगाई जाएगी. कंपनी को 222.68 हेक्टेयर क्षेत्र में भूमि कब्जे की औपचारिक मंजूरी मिली है. शेष 202.32 हेक्टेयर भूमि के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिलनी बाकी है.

इस परियोजना में 14,000 करोड़ रुपये के निवेश से 800-800 मेगावाट के दो इकाइयां स्थापित की जाएंगी. इसके अलावा इसमें पानी की पाइपलाइन और बिजली निकासी की व्यवस्था की स्थापना भी शामिल है.

यह परियोजना 2022 के अंत तक पूरी हो जाएगी. कंपनी इस परियोजना से बनने वाली बिजली की आपूर्ति बांग्लादेश को करने के लिए पहले ही बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर कर चुकी है.’

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, विशेष आर्थिक क्षेत्र देश में प्रमुख निर्यात केंद्र हैं, इसमें सरकार कर लाभ सहित कई प्रोत्साहन प्रदान करती है.

इन क्षेत्रों में स्थापित होने वाली इकाइयों को कई फायदे मिलते हैं, जिसमें आयात के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता, सबकांट्रैक्टिंग के लिए पूर्ण स्वतंत्रता और निर्यात/आयात कार्गो के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा कोई नियमित परीक्षा या निगरानी का नहीं होना शामिल हैं. वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर लाभों का भी आनंद लेते हैं.

साल 2017-18 में विशेष आर्थिक क्षेत्रों से निर्यात लगभग 15 प्रतिशत बढ़कर 5.52 लाख करोड़ रुपये हो गया.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)