महाशिवरात्रि को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के दक्षिण जॉयनगर इलाके में स्थित कब्रिस्तान के अंदर शिव का एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया था. आरोप है कि ज़मीन हड़पने के लिए मंदिर बनाया गया.
अगरतला: त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक कब्रिस्तान में मंदिर बनाने के आरोप में पुलिस ने मामला दर्ज किया है. कब्रिस्तान समिति ने पुलिस से इस संबंध में शिकायत की थी.
अधिकारियों ने बताया कि मंदिर अवैध है और पुलिस ने अगरतला के दक्षिण जॉयनगर इलाके में स्थित घटनास्थल पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी है.
फिलहाल त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
दक्षिण जॉयनगर कब्रिस्तान सुरक्षा समिति के सचिव तहर मियां ने कहा कि पिछले 70 साल से अल्पसंख्यक समुदाय के शवों को दफन करने के लिए इस कब्रिस्तान का इस्तेमाल होता है. लेकिन इस जमीन को हड़पने के लिए महाशिवरात्रि के मौके पर अस्थायी शिव मंदिर का निर्माण कर लिया गया.
तहर मियां ने बताया, ‘हमने यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस की मदद मांगी कि कहीं कब्रिस्तान प्रभावित न हो. मालिकाना हक का कोई भी दावा अदालत में ही साबित किया जा सकता है. हम चाहते हैं कि सारी जमीन हमें सौंपी जाए.’
उन्होंने 4 मार्च को पुलिस से शिकायत की है.
स्थानीय निवासी प्रदीप दास ने पत्रकारों के सामने दावा किया कि जमीन का वो हिस्सा उनका है और करीब 25 साल पहले तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी माकपा की मदद से वहां जबरन अल्पसंख्यक समुदाय के शवों को दफनाया जाने लगा.
प्रदीप दास ने ज़मीन के मालिकाना हक के लिए पश्चिम त्रिपुरा अतिरिक्त ज़िला जज से अपील की थी, हालांकि कोर्ट ने यह अपील ख़ारिज कर दी थी.
प्रदीप दास ने कहा, ‘मैंने अपनी जमीन का एक हिस्सा दान करने की घोषणा की थी ताकि मंदिर बनाया जा सके. यहां पिछले 25 सालों से जबरन शवों को दफनाया जा रहा है. हमारे मोहल्ले में अल्पसंख्यक समुदाय का एक भी परिवार नहीं है, लेकिन माकपा के नेताओं ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का समर्थन किया और यहां जबरन शवों को दफनाया जाने लगा.’
सदर के उपमंडलीय अधिकारी अजय कुमार दास ने कहा कि एक व्यक्ति ने दावा किया है कि जमीन उसकी है, लेकिन वह इसे साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाया.
दास ने कहा, ‘जमीन पर बांस और कपड़े का मंदिर बनाया गया है. कुछ लोगों ने भगवान शिव की पूजा करनी भी शुरू कर दी है. ढांचा अवैध है. क्षेत्र कब्रिस्तान का है. हमने किसी भी तरह की अप्रिय घटना को टालने के लिए सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए हैं.’
तहर मियां ने बताया कि यह ज़मीन अब्दुल अहम मियां की है, हालांकि उनके पास मालिकाना हक़ का कोई दस्तावेज नहीं है.