नेपाल के सांसद समेत 10 लोगों को मॉब लिंचिंग मामले में उम्रक़ैद की सज़ा

साल 2015 में नेपाल के कैलाली में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में नौ लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी. इस मामले में कैलाली से सांसद रेशम चौधरी मुख्य आरोपी थे.

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रेशम लाल चौधरी. (फोटो साभार: ट्विटर/@reportersnepal)

साल 2015 में नेपाल के कैलाली में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में नौ लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी. इस मामले में कैलाली से सांसद रेशम लाल चौधरी मुख्य आरोपी थे.

रेशम लाल चौधरी. (फोटो साभार: ट्विटर/@reportersnepal)
रेशम लाल चौधरी. (फोटो साभार: ट्विटर/@reportersnepal)

काठमांडू: नेपाल की एक जिला अदालत ने 2015 के जघन्य हत्याकांड में संलिप्तता पर नेपाल के एक सांसद को बीते बुधवार को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई.

चार साल पुराने इस मामले में आठ पुलिसकर्मियों और एक बच्चे की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. एक सप्ताह चली सुनवाई के बाद न्यायाधीश परशुराम भट्टराई ने राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल (आरजेपी-एन) के सांसद रेशम लाल चौधरी तथा दस अन्य सह आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई.

कैलाली ज़िला अदालत ने टीकापुर हत्याकांड में संलिप्ततता को लेकर 12 अन्य लोगों को तीन-तीन साल की जेल, एक व्यक्ति को छह महीने की जेल की सज़ा सुनाई और तीन लोगों को बरी कर दिया.

गौरतलब है कि 24 अगस्त 2015 को एक अधिकारी सहित आठ पुलिसकर्मियों और एक बच्चे की संघर्ष में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. यह संघर्ष नेपाल का संविधान लागू करने के ख़िलाफ़ प्रमुख मधेसी दलों के प्रदर्शन के दौरान हुआ था.

टीकापुर घटना के बाद से फ़रार सांसद रेशम लाल चौधरी हालांकि राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल के टिकट पर कैलाली सीट से 2017 का आम चुनाव लड़े और जीते थे.

द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, टीकापुर (कैलाली) हत्याकांड में रेशम लाल चौधरी मुख्य आरोपी थे. यह हिंसा कैलाली ज़िले को नेपाल के सात पहाड़ी ज़िलों में शामिल करने के निर्णय के बाद 17 अगस्त 2015 को भड़की थी.

कैलाली के थारू समुदाय के लोगों ने इस निर्णय का विरोध किया था. इस विरोध को थारूहट आंदोलन के नाम से जाना जाता है. कैलाली में इस आंदोलन का नेतृत्व रेशम चौधरी ने किया था. यह उस आंदोलन का हिस्सा था जो कि नेपाल के तराई इलाकों में स्थित विभिन्न ज़िलों में कई महीनों से चल रहा था.

रिपोर्ट के अनुसार, आरोप था कि नेपाल सरकार का निर्णय बहुसंख्यक थारूओं, मधेसियों और जनजाति के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण था.

साल 2015 के अगस्त और सितंबर महीने में नेपाल के तराई में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान तकरीबन 45 लोग मारे गए थे.

थारूहट आंदोलन को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने प्रतिबंधनात्मक आदेश जारी किए थे. द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कैलाली में आंदोलन से जुड़े समूह ने आदेश के ख़िलाफ़ खड़ा होने का आह्वान किया था.

इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस दौरान एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और एक बच्चे सहित नौ लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी.

15 अगस्त 2015 को पुलिस ने रेशम लाल चौधरी और अन्य के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया था. रेशम इसके बाद फ़रार हो गए थे, लेकिन जब 2017 में चुनाव हुए तो उन्होंने राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल से कैलाली-1 सीट से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की.

द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल तीन जनवरी को उन्होंने संघीय संसद के सदस्य के रूप में शपथ ली थी. अभी वह काठमांडू के दिल्ली बाज़ार जेल में बंद हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)